कविता

ख्वाब अपनी पलकों पे…

ख्वाब अपनी पलकों पे, दिन – रात मैं सजाती हूँ !
देख हँसी लब पे तेरे, मैं पहरों मुस्कुराती हूँ !!

जुस्तजू मेरी हो तुम, मंजिल नहीं तुम बन सकते !
फिर भी दिल की महफिल, मैं तेरे नाम से सजाती हूँ !!

दिल ये मानता रहा, बस हम ही तुमको चाहते हैं !
तुझको चाहने वालों में, मैं खुद को तन्हा पाती हूँ !!

तेरी यादों के जुगनू, झिलमिलाएँ मेरी आँखों में !
तुझको मिलने की आरजू में, मैं खुद को भूल जाती हूँ !!

ख्वाब अपनी पलकों पे, दिन – रात मैं सजाती हूँ !
देख हँसी लब पे तेरे, मैं पहरों मुस्कुराती हूँ !!

अंजु गुप्ता

*अंजु गुप्ता

Am Self Employed Soft Skill Trainer with more than 24 years of rich experience in Education field. Hindi is my passion & English is my profession. Qualification: B.Com, PGDMM, MBA, MA (English), B.Ed