कविता

आईना

 

कुछ जीवन के लम्हे लिखे,कुछ जीवन के लम्हे खो गए।
चंद बाते पन्नो पर लिखी , चंद मन के कोनो में खो गयी।।

वो जो लम्हे कहीं खो गए है,बस वही तो जीवन था।
बेशक उन लम्हो में धोखा था,पर धोखा उजागर तो ना था।।

वो बीते लम्हो में जो गलतियां की,वो मेरी अपनी तो थी।
आईने के सामने जो सर झुका वो कही सही तो था।।

अब आदत है यु हीं बिन गलतियों के गलतियां मानने की।
बिन गलतियों के अब आईने के सामने जाने का अपना मजा है,
अब आईना है जो मुझसे नजरे चुराता है उसका अपना मजा है।।

 

नीरज त्यागी

पिता का नाम - श्री आनंद कुमार त्यागी माता का नाम - स्व.श्रीमती राज बाला त्यागी ई मेल आईडी- neerajtya@yahoo.in एवं neerajtyagi262@gmail.com ग़ाज़ियाबाद (उ. प्र)