कविता

अपनापन

तेरी मासूमियत तुझे मार डालेगी
भटक मत जाना तू अंजान राहों में

ऐसी नादानी किस काम की बाँहें
फैली रह जाये किसी के इंतजार में

सिमटी सिकुड़ी खामोश सी है तू
झुलस मत जाना कभी गर्म सासों में

तुझे अनदेखा कर कोई भला कैसे चैन पायेगा
दूर जाना भूल आ जाये चंचल चितवन बाहों में

ए जिंदगी तुम हर पल मुस्कुराती रहो
कहकहे मत लगाओ पर अपनापन लुटाती रहो।

नशीले नयन करते प्रणय निवेदन
फिर भी शर्म से अँखियाँ झूक जाती

खूले बिखड़ें बालों में उलझ जाओगे
मुझे छोड़कर तुम देर तक कभी दूर नहीं रह पाओगे

आरती राय, दरभंगा

*आरती राय

शैक्षणिक योग्यता--गृहणी जन्मतिथि - 11दिसंबर लेखन की विधाएँ - लघुकथा, कहानियाँ ,कवितायें प्रकाशित पुस्तकें - लघुत्तम महत्तम...लघुकथा संकलन . प्रकाशित दर्पण कथा संग्रह पुरस्कार/सम्मान - आकाशवाणी दरभंगा से कहानी का प्रसारण डाक का सम्पूर्ण पता - आरती राय कृष्णा पूरी .बरहेता रोड . लहेरियासराय जेल के पास जिला ...दरभंगा बिहार . Mo-9430350863 . ईमेल - arti.roy1112@gmail.com