महाभुजंगप्रयात सवैया
8 यगण, 24वर्ण, सरल मापनी — 122/122/122/122/122/122/122/122 प्रभो का दिदारा मिला आज मोहीं, चली नाव मेरी मिली धार योंही। सभी
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Read Moreकल रात तुम आये थे! कितना असहज सी हो गयी थी, पल दो पल को ! जानती हूं जरूर कोई
Read Moreसबका अपना है, अलग एक किरदार हिंद का प्रधान सेवक भी है, चौकिदार भारत के सियासत में, होता है तकरार
Read Moreएक स्वस्थ व सुन्दर राष्ट्र को बनाने के लिए स्वच्छता बहुत जरूरी है। स्वच्छ भारत के लिए 1 अप्रेल 1999
Read Moreसुना दो मुझे दिल का वो पैगाम जो भी हो नहीं है गम मुझे अब चाहे नीलाम जो भी हो
Read Moreतुझसे बिछड़कर मैं सोई नहीं, दर्द आज भी है पर मैं रोई नहीं। जख्मों को मेरे आकर सहलाए, प्यार से
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