राजनीति

भारत की छवि जिसमें सच्चाई है ।

अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने धार्मिक स्वतंत्रता से जुड़ी एक रिपोर्ट में खुलकर मोदी सरकार की आलोचना की। इसमें कहा गया है कि पिछले कुछ सालों के दौरान भारत में गोरक्षा के नाम पर अल्पसंख्यकों पर हिंदू संगठनों ने हमले किए। 2015 से 2017 के बीच देश में साम्प्रदायिक घटनाएं 9% बढ़ गईं। यह रिपोर्ट शनिवार को सामने आई, इसे इंडिया 2018 इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम रिपोर्ट नाम दिया गया है। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने इस रिपोर्ट को पूर्वाग्रह से ग्रसित बताया है, पर यह नहीं बताया की अमरीका का यह पूर्वाग्रह क्यों है ? क्या अमरीका की भारत से पकिस्तान जैसी दुश्मनी है ?

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2018 के दौरान सालभर अल्पसंख्यकों खासतौर मुस्लिमों पर हिंदू संगठनों की भीड़ ने हमले किए। हिंसा का शिकार हुए ज्यादातर लोग गोवंश की खरीदफरोख्त या बीफ के कारोबार में लगे हुए थे। रिपोर्ट के मुताबिक, मोदी सरकार धर्म और गोरक्षा के नाम पर भीड़ के द्वारा हुए हमलों को रोकने में पूरी तरह से नाकाम रही। पिछले साल अल्पसंख्यकों और सरकार की आलोचना करने वाले लोगों पर कई बार हमले हुए। इसके साथ-साथ भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने भी भड़काऊ भाषण दिए थे।

गृह विभाग के हवाले से विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने रिपोर्ट में कहा है कि 2015 से 2017 के बीच भारत में साम्प्रदायिक घटनाओं में 9% वृद्धि हुई। 2017 में ऐसी 822 घटनाओं में 111 लोगों की जान गई और 2384 जख्मी हुए। धर्म के नाम पर हत्याओं, हमले, दंगों और भेदभाव से लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची।

 रिपोर्ट में कठुआ दुष्कर्म मामले का भी जिक्र

इस रिपोर्ट में जम्मू-कश्मीर के कठुआ में 8 साल की मुस्लिम लड़की के साथ अपहरण, दुष्कर्म और हत्या के मामले का जिक्र भी है। कहा गया है कि अल्पसंख्यकों के खिलाफ अपराधों में पुलिस और सरकारी कर्मचारी भी शामिल थे। वारदात का मकसद मुस्लिम समुदाय को इलाके से भगाना था।

सच्चे का बोलबाला झूठे का मुंह काला यह साबित हो गया कठुआ रेप केस का जजमेंट आने के बाद । यह जजमेंट उन तथाकथित पत्रकारों के मुंह पर तमाचा है जिन्होंने कठुआ रेप केस में कई सवाल खड़े किये थे ।उन तथाकथित पत्रकारों में से एक है ज़ी टीवी का सुधीर चौधरी जिसने   कठुआ रेप केस में कई सवाल उठाये   थे. जैसे  की  एक पिता अपने  बेटे  को  8 साल की बची का रेप करने के लिए  कैसे  कह  सकता  है? मंदिर  में बच्ची  को  कैसे  छुपाया  जा  सकता  है, जबकि  उस  मंदिर  में रोज  लोग  पूजा  अर्चना  करने  आते  हैं ? इसके  अलावा  और  कई बेतुके  सवाल इस  पत्रकार  द्वारा  उठाये  गए  थे ।  जिस एक कमरे के मंदिर में चार खिड़कियाँ और तीन दरवाजे हों, वहां लड़की को कैसे बंधक बनाकर रखा जा सकता है ? यह कैसे संभव है की 6 दिन तक उस लड़की को वहां बंधक बनाकर रखा जाए और 6 दिनों तक जहां इतने सारे लोग वहां आते हैं पूजा के लिए किसी को पता ना चला हो ।बच्ची का शव जिस जगह मिला वो जगह सांझी राम के घर के बहुत पास है वह यदि हत्या करता तो शव को अपने घर के इतने पास क्यों फेंकता ? सुधीर चौधरी के अनुसार 15 जनवरी को देवीस्थान में भंडारा हुआ था, भंडारे में शामिल सैंकड़ों लोगों ने उस लड़की को क्यों नहीं देखा ? यह भी कहा गया है की 15 जनवरी तक लड़की इसी देवीस्थान में मौजूद थी । विशाल नाम का आरोपी एक ही समय में दो स्थानों पर कैसे मौजूद हो सकता है ।वह उस समय मुजफ्फरनगर के एक कालेज में परीक्षा दे रहा था ।क्या काश्मीर क्राइम ब्रांच को जांच देने के बाद पूरी घटना की कहानी बदल गयी ? खुद को राष्ट्रभक्त दिखाने की यह भरपूर कोशिश करता है ।यह पत्रकार उन्ही लोगों का समर्थक है जो कठुआ रेप केस के आरोपियों के समर्थन में तिरंगा खंडा लेकर खड़े थे । हर मुद्दे को हिन्दू मुस्लिम का रंग देना इन जैसे पत्रकारों का धंधा है। इसके द्वारा उठाये गए सवालों का लिंक https://www.youtube.com/watch?v=1-GpkfFvQ-M

इसके द्वारा उठाये गए सभी सवालों के जवाब कठुआ मामले में आये जजमेंट में इसे मिल गया होगा । कठुआ मामले पर आया फैसला सुधीर चौधरी के गाल पर जोरदार तमाचा है इस मामले में 6 लोगों को सजा हुई है । सान्जी राम के लिए आंदोलन करने वाले उस समय काश्मीर सरकार में शामिल बीजेपी के विधायक समझते होंगें लोग उनके घिनोने काम को भूल गए होंगें ।

एक विशेष पठानकोट कोर्ट ने सोमवार 10 जून को कठुआ बलात्कार मामले में अपना फैसला सुनाया। अदालत ने छह लोगों को दोषी पाया और तीन लोगों को आजीवन कारावास और तीन अन्य को पांच साल से अधिक की जेल की सजा सुनाई।फैसला जिला एवं सत्र न्यायाधीश, तेजविंदर सिंह ने सुनाया। दोषी पाए गए छह लोगों में मंदिर के कार्यवाहक सांजी राम और उनके दोस्त परवेश कुमार भी शामिल हैं । मामले में चार पुलिस कर्मियों विशेष पुलिस अधिकारी दीपक खजूरिया, सब इंस्पेक्टर आनंद दत्ता, हेड कांस्टेबल तिलक राज और विशेष अधिकारी सुरेंद्र वर्मा को भी दोषी पाया गया।

इस मामले के मुख्य अभियुक्त सांजी राम, उसके दोस्त परवेश कुमार और एक विशेष पुलिस अधिकारी दीपक खजुरिया को रणबीर दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई । उन्हें धारा 376 डी के तहत सामूहिक बलात्कार के अपराध में 25 साल के कारावास की सजा भी दी गई है और जुर्माना एक लाख रुपए। तीन पुलिस वालों – विशेष पुलिस अधिकारी सुरेंद्र वर्मा, सब इंस्पेक्टर आनंद दत्ता और हेड कांस्टेबल तिलक राज – जिन्होंने कथित रूप से तोड़फोड़ के लिए सांजी राम से रिश्वत के रूप में 4 लाख रुपये लिए थे, को इस मामले में सबूत नष्ट करने के लिए पांच साल कैद की सजा सुनाई गई और 25,000 रुपये जुर्माना। सातवें आरोपी, जो नाबालिग हो सकता हैं, को अदालत ने बरी कर दिया।

रविन्दर सूदन

शिक्षा : जबलपुर विश्वविद्यालय से एम् एस-सी । रक्षा मंत्रालय संस्थान जबलपुर में २८ वर्षों तक विभिन्न पदों पर कार्य किया । वर्तमान में रिटायर्ड जीवन जी रहा हूँ ।