कविता

माँ

 

रात अंधेरी , चाँद अकेला
तारे भी ना जाने कहाँ गए।

काली – काली अँधियारी में,
बेचारा चाँद अकेला क्या करे।

मिल जाये आँचल माँ का,
इसी उम्मीद में रात भर चले।

सन – सन चल रही जो हवाएं,
उनसे शायद फिर चैन मिले।

कुछ काले , कुछ उजले बादल
से चाँद आज बहुत घबराया है।

माँ का सर पर हाथ नही अगर,
कोई ऐरा गैरा भी उसे डराता है।

धरती हो या आसमाँ पर कोई,
सब के सर पर माँ का हाथ रहे।

फिर कोई करे कितनी भी कोशिश
नही किसी की हिम्मत फिर कोई
भी उस पर घात करें ।

 

नीरज त्यागी

पिता का नाम - श्री आनंद कुमार त्यागी माता का नाम - स्व.श्रीमती राज बाला त्यागी ई मेल आईडी- neerajtya@yahoo.in एवं neerajtyagi262@gmail.com ग़ाज़ियाबाद (उ. प्र)