कवितापद्य साहित्य

मित्रता दिवस

आज का दिन दोस्ती के नाम दोस्तों

है दोस्ती को मेरा सलाम  दोस्तो ।।

अगस्त का ये पहला रविवार खूब है
ले के आया प्यार प्यार प्यार खूब है
है कितना खूबसूरत ये रिश्ता जहां में
खून से अलग  इक परिवार खूब है

दोस्ती का ऊंचा है मक़ाम दोस्तों
है दोस्ती को मेरा सलाम दोस्तों ।।

ना लिखा पढ़ी ना अनुबंध होता है
किन्तु कितना गहरा संबंध होता है
कैसा भी मुआमला कोई भी बात हो
दोस्त हो तो हौसला बुलंद होता है

दोस्ती है दिल का आराम दोस्तों
है दोस्ती को मेरा सलाम दोस्तों ।।

न कोई तकल्लुफ न कोई कायदा
ये देखता नहीं है नुकसान फायदा
हमराज है हमदम है ये हमनवाज है
इससे बड़ा कोई भी नहीं है वायदा

बेहद है बे-पनाह बे-लगाम दोस्तों
है दोस्ती को मेरा सलाम दोस्तों ।।

समर नाथ मिश्र

रायपुर