कविता

बेवफा यूँ हो जाएंगें!!

संग जिनके
हंँसते गाते
कुछ जाने/पहचाने
आज हुए वो
बेगाने से
कल तक जो मेरे दीवाने थे।
वफा को वो
क्या जाने !
जो ख़ुद से अनजाने
हुए अजनबी हैं
वो जो हर पल
साथ निभाते थे।
बदल गई राहें
उनकी जो
कदम से कदम
मिलाते
कसमें वादे
झूठे सारे
सच्चे उनके बहाने थे।
बाँहों में मेरी
गुजारी रातें
मिले यूँ जैसे!
न पहचाने
याद आते हैं
गीत पुराने
जो कभी प्रेम तराने थे।
बेवफा
यूँ हो जाएँगे
यह न जाने!!
इंतजार
करते रहे बहोत
वो लौटकर न आए
और न आने थे।
— डॉ. रचना सिंह “रश्मि”

डॉ. रचना सिंह "रश्मि"

साहित्कार/सोशल एक्टिविस्ट आलेख कहानियां लघु कथाएं रचनाएं हाइकु आदि लिखती हूं। रचना़ओ और आलेखो को राष्ट्रीय एवं स्थानीय एवं स्तर के समाचार पत्र पत्रिकाओं में स्थान मिल चुका है। 42सम्मान मिलें.है .जिसमें. राष्ट्रीय राजकीय व स्थानीय स्तर के है प्रकाशित- शब्द संमदर, ई पत्रिका नारीशक्ति सागर, हिन्दी सागर , गीतगुंजन, काव्य रत्नावली, काव्य अंकुर, शब्दाजंलि, हकीकत से सपनों तक साझा संकलन समकालीन साहित्य और किन्नर समाज आदि आगरा उप्र