बाल कविता

मम्मी जी

नाना जी की राजदुलारी, मेरी प्यारी मम्मी जी।।
सभी ज़रूरत समय पे पूरी, करें हमारी मम्मी जी।।

कॉपी बस्ता पेन पेंसिल इधर उधर मैं फैलाती।
सही जगह पर चीजें रखो मम्मी जी ही समझाती।
पढूं देर तक मैं, पर जागे साथ बेचारी मम्मी जी।
हर पेपर की संग मेरे करती तैयारी मम्मी जी।।

दूध और सब्जी से मेरा बहुत दूर का नाता है।
पिज़्ज़ा, बर्गर, नूडल्स खाना मुझको हरदम भाता है।
सभी सब्ज़ियाँ फल खाओ कह के हारी मम्मी जी।
मुझसे कोसों दूर भगाए हर बीमारी मम्मी जी।।

परियों जैसे ठाठ मेरे हैं, मम्मी जी के होने से।
उनकी दुनिया हिल जाती है एक मेरे ही रोने से।
मेरे पीछे घूमें, छोड़ के दुनिया सारी मम्मी जी।
मुझको मेरी गुड़ियों जैसी लगती प्यारी मम्मी जी।।

*डॉ. मीनाक्षी शर्मा

सहायक अध्यापिका जन्म तिथि- 11/07/1975 साहिबाबाद ग़ाज़ियाबाद फोन नं -9716006178 विधा- कविता,गीत, ग़ज़लें, बाल कथा, लघुकथा