मुक्तक/दोहा

दोहे – बेटी

बेटी तो कोमल कली ,बेटी तो  तलवार !
बेटी सचमुच धैर्य है,बेटी तो अंगार !!

बेटी है संवेदना,बेटी है आवेश !
बेटी तो है लौह सम,बेटी भावावेश !!

बेटी कर्मठता लिये,रचे नवल अध्याय !
बेटी चोखे सार का,है हरदम अभिप्राय !!

बेटी में करुणा बसी,बेटी में है धर्म !
बेटी नित मां-बाप प्रति,करती पूरा कर्म !!

बेटी तो ममतामयी,पर वीरों की वीर !
हर लेती परिवार की,हो कैसी भी पीर !!

बेटी है मानो धरा,बेटी है आकाश !
बेटी के गुण को ” शरद”,समझे यह युग काश !!

बेटी सेवा,श्रम लिये,करती है उपकार !
बेटी से ही सृष्टि को,मिलता नव आकार !!

बेटी अनुसंधान है,बेटी है विज्ञान !
बेटी तो अध्यात्म है,बेटी है सत् ज्ञान !!

बेटी सूरज की किरण,बेटी है उजियार !
बेटी  शीतल चांदनी,परे करे अंधियार !!

बेटी बेटे से भली,है वह खिलती धूप !
परम शक्तियां आ गयीं,ले बेटी का रूप !!

— डॉ. नीलम खरे

डॉ. नीलम खरे

डॉ.नीलम खरे आज़ाद वार्ड, मंडला (म.प्र) -481661