बस यही है दोस्ती
बस यही है दोस्ती ” दीपा, सुन तो”। ” हाँ, बोल श्रुति, क्या हुआ”? ” कल मैंने तुमको सायरा के
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Read Moreजब तक देख सकते हैं, देखते रहिए दूसरे की आग पर रोटी सेकते रहिए बाज़ी किसकी होगी ,किसको पता है
Read Moreसबको है गुमां, मगर, मुकम्मल कोई नहीं। सूने पडे पनघट, चहलपहल कोई नहीं। दूर तक कोई शजर नही, कोई आसरा
Read Moreमईया के श्रीचरणों में मैं, जब जब शीश झुकाता हूँ। पता नहीं क्यूँ मानो जैसे, जीवन का सुख पाता हूँ।।
Read Moreलम्हों की चादर तले दबे कई साल मिले ख़ुशनुमा चेहरे सारे वही ग़म-ए-हाल मिले सोचती मैं थी हमेशा सब मेरे
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