कविता

भ्रष्टाचारी नेता को हराना है

ठुश ठूस कर खाते हैं जनता का   पैसा भाषण देते हैं भरपूर!
जो ना करें जनता की सेवा दिल से ऐसे नेता से रहना दूर!
 भ्रष्टाचारी नेता जीतने से पहले जनता के आगे सर झुकाते हैं!
चुनाव जीतने के बाद यह नेता फोन तक भी नहीं उठाते हैं!
नाली खरंजा विधवा पेंशन राशन कार्ड का कोटा खा जाते हैं!
भ्रष्टाचार से पेट फूल गया है इनका अकड़ उल्टा दिखाते हैं!
गलती हमारी ही थी क्योंकि हमने इन्हें वोट देकर जिताया है!
 नहीं करते काम जनता का बिना लिए दिए यह परिणाम आया है!
 जनता ने अब ठाना है भ्रष्टाचारी नेता को चुनाव नहीं जिताना है!
नेता होना चाहिए ऐसा की जनता हित में अच्छा काम करें!
भ्रष्टाचारी मुक्त हो दामन उसका देश में अच्छा नाम करें!
— अमित राजपूत

अमित कुमार राजपूत

मैं पत्रकार हूं निवासी गाजियाबाद उत्तर प्रदेश