राजनीति

हंगामा क्यों बरपा रही है विरोधी पार्टियाँ ? 

नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 (CAB ) के पास होने के बाद अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के सभी प्रताड़ित हिंसा के शिकार अल्पसंख्यक (हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई) भारतीय नागरिकता के योग्य हो जाएंगे । इन्हें भारतीय नागरिकता पाने के नियम में भी छूट मिल जाएगी । ऐसे सभी शरणार्थी जो छह साल से भारत में रह रहे हैं, उन्हें यहां की नागरिकता मिल सकेगी । सरकार ने इन तीन देशों के सभी अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का निर्णय लिया है, यदि सरकार किसी एक अल्पसंख्यक समुदाय को नागरिकता देने का निर्णय करती तो शायद गलत होता । अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश ये तीनों देशों ने स्वयं को इस्लामिक देश घोषित किया है बाकि धर्मों के लोगो को वहाँ का दुसरे दर्जे का नागरिक समझा जाता है जिससे आये दिन रोज वहां के हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई अल्पसंख्यक हिंसा के शिकार होते रहते है | उनके मानवीय अधिकारों को ही वहां छीन लिया गया है |

1950 में पाकिस्तान में 23 प्रतिशत अल्पसंख्यक थे और अब मात्र 3 प्रतिशत बचे हैं । क्या हुआ शेष अल्पसंख्यकों का? क्या आगे उनकी संतानें नहीं हुईं? या पाकिस्तानी अल्पसंख्यकों ने आत्महत्या कर ली? आखिर कहां गए पाकिस्तान के 20 प्रतिशत अल्पसंख्यक? पाकिस्तान से भारत आए अनेक हिन्दू परिवार दिल्ली के अंतरराज्यीय बस अड्डे के करीब मजनू का टीला में भी शरण लिए हुए हैं । ये वहां उनके साथ हो रहे भेदभाव से तंग होकर मजबूरी में भारत आए हैं और यहीं रहना चाहते हैं, लेकिन इनके पास नागरिकता नहीं है । इसलिए न नौकरी है, न रहने-खाने की व्यवस्था|यह समस्या केवल इन परिवारों की नहीं है बल्कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से पलायन कर भारत आए लाखों अल्पसंख्यकों की है ।

पाकिस्थान बांग्लादेश से आये मुस्लिम घुसपैठियों को यहाँ के नेताओं का राजनैतिक संरक्षण प्राप्त है इसलिए उनके आधार कार्ड , राशन कार्ड, वोटर्स आई डी कार्ड तक उन्हें बनकर मिल चुके है वही इसके विपरीत हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई शरणार्थियों को कोई भी राजनैतिक संरक्षण प्राप्त नहीं है इसलिए जो असल में पीड़ित दलित और शोषित है आज तक उनके साथ भेदभाव होता आया है नागरिकता संशोधन अधिनियम, २०१९ उनके लिए नागरिक बनकर जीने की आस है आगे बढ़ने का सहारा है |

यह नागरिकता संशोधन अधिनियम किसी भी तरह से मुस्लिम विरोधी नहीं है |सदियों से मुस्लिमों को अपना वोट बैंक समझने वाली पार्टियों के द्वारा इस बिल का राजनितिक फायदा लेने के लिए साजिश के तहत भ्रम फैलाया जा रहा है की यह मुस्लिम विरोधी है | विरोधियों की वोट बैंक पॉलिटिक्स ने ही देश में जगह जगह पर आग लगायी है | सोशल मीडिया में अनेक भ्रम फ़ैलाने वाले संदेश और विडियो बनाकर देश को और सरकार को बदनाम करने की साजिश आसानी से समझ में आती है | तीनों मुस्लिम देशों के मुसलमान अपने देशों में भेदभाव से पीड़ित नहीं है, इसलिए भारत की नागरिकता देने वाले इस कानून में मुसलमानों को शामिल करने का कोई तर्क नहीं बनता । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने साफ किया है कि इससे भारतीय मूल के उन नागरिकों को लाभ होगा जो किन्हीं कारणों से इन तीनों देशों में धार्मिक भेदभाव के शिकार हो रहे हैं और अब तक उनके पास इस भेदभाव से बचने का कोई उपाय नहीं है ।

इतना सरल और सटीक अधिनियम होने के बाद भी पश्चिम बंगाल, दिल्ली , असम , मणिपुर, उत्तर प्रदेश , देश के कई जगहों पर खासकर मुस्लिम बहुल इलाकों में भयानक हिंसा देखने को मिली है सरकारी संपत्ति को नुक्सान पहुचाना , बसों को जलाना ,पत्थरबाजी, पुलिस पर पथराव करना , आम जनता पर हथियार से हमला करना हर प्रकार की हिंसा देखने को मिल रही है इसमें १० से भी ज्यादा लोगो की मौत हो चुकी है अनेक लोग घायल हुए है और कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता हिंसा और दंगे करने के आरोप में पकडे गए है | कांग्रेस शासित राज्यों ने इस अधिनियम को लागु करने से मना कर दिया है | प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने स्वयं कहा है की देश में कांग्रेस हिंसा भड़का रही है और आम जनता इस बात को स्वयं अपनी आँखों से देख रही है की किस तरह विरोधी पार्टी के नेता देश को अशांत और अस्थिर बनाने पर तुले हुए है | इस अधिनियम के विरोध में कॉलेज और स्कूल के विद्यार्थी और शिक्षक भी शामिल हुए है आश्चर्य की बात है की विद्यार्जन वाली संस्था में देशविरोधी और हिंसक गतिविधियों को कैसे संचालित किया जा रहा है | कांग्रेस और विरोधी पार्टी के नेता कट्टरपंथी संगठनों को बाहरी समर्थन दे रही है , सोशल मीडिया में ग्रुप बनाकर लोगो को दंगे और हिंसा करने के लिए उकसाया जा रहा है |

नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 सत्य और सरल होने पर भी इतना हंगामा क्यों बरपा रही है विरोधी पार्टियाँ ? संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में भी कहा गया है की अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के अल्पसंख्यक (हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई) हिंसा के शिकार हो रहे है और उनको वहां कोई भी सुरक्षा प्रदान नहीं की गयी है | अल्पसंख्यकों की हत्याएं और जबरन धर्म परिवर्तन किया जा रहा है |ऐसे में नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 उनके जीने का अधिकार लेकर आया है | दिल्ली के मजनू का टीला इलाके के पाकिस्तानी हिंदुओं का एक शरणार्थी कैम्प है. यहां 10 दिसंबर को एक कन्या का जन्म हुआ. 11 तारीख को जब ये बिल पारित होने को था, तो उसके मां-बाप ने उसका नाम ‘नागरिकता’ रखा. प्रफुल्लित मां ने कहा कि ये भारत की बेटी है. मजनू का टीला में इन शरणार्थियों ने नाच गाकर, ढोल बजाकर नागरिकता संशोधन विधेयक का उत्सव मनाया. उनके लिए ये दिन जिंदगी का सबसे बड़ा त्यौहार बनकर आया है.

महेश गुप्ता

नागपुर से हूँ. एक आईटी कंपनी में अकाउंटेंट के रूप में कार्यरत हूँ . मेरा मोबाइल नंबर / व्हाट्स अप्प नंबर ८६६८२३८२१० है. मेरा फेसबुक पेज https://www.facebook.com/mahesh.is.gupta