कविता

नया साल

गुजरा साल देकर यादों की गठरी
आया नया साल लेकर खुशियों की पोटली

कुछ ख्वाब अधूरे कुछ बंधन छुटे
कुछ अनबन हुई कुछ उलझन में उलझी
कुछ अपने बने कुछ पराये हो गये
कुछ साथ चले कुछ रूठ गये
अब देखो सपनों को साकार करने
देखो नव वर्ष सौगात लेकर आया हैं

पंछी हँसे करे कलरव किलोल शोर
धरती का भी झूम उठे मनमोर
पीड़ा का विषपान करने
साहस का सम्मान करने
चीर कर अंधकार नया सवेरा आया है
अपनों से अपनों की मिलाने
देखो नव वर्ष सौगात लेकर आया हैं

थामे हाथों में उगते सूरज की किरणों की डोर
घरती का आलिंगन करती नये वर्ष की भोर
सभी मुरादें पूरी होगी होगी हर मंजिल आसान
सदा गतिमान रहना यही संदेशा लेकर
देखो नव वर्ष सौगात लेकर आया हैं

गुजरा हुआ वक्त यादों में सहेजे
भविष्य आगमन को बाँहों में भर ले
नये सपने बुने आशाओं को पाले
सदा विराजे मुदु मुस्कान चेहरे पर
कुछ उज्ज्वल समय का साथ लेकर
देखो नव वर्ष  सौगात लेकर आया हैं

कर विदा निशा को सूरज निकल आया हैं
आसमान के नये पंख सुनहरे
कर्म साधना को सफल बनाने
आशीष मिले प्रभु कृपाद्रष्टि का
यही दुआएं लेकर
देखो नव वर्ष सौगात लेकर आया हैं

— शोभा रानी गोयल

शोभा गोयल

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