कविता

तेरी याद

लम्हा लम्हा हर पल गुज़र रही है जिंदगी,
गुज़रते हुए हर लम्हे में तुम हो ,
हाँ तुम ही तो हो संग मेरे याद में ,

आओ हम बुरा भूल जाये ,
हमने की जो भी गलती ,
उसको भूल कर हम ,
कुछ पल संग एक दूसरे के बिताए ।

आज फिर गीले शिकवे भूल कर ,
एक दूजे को गले लगाए ,
एक दूसरे की खुशी में खुश हो जाये ।

तुम हर गुज़रते लम्हे के साथ ,
दूर मुझसे जा रहे हो ,
कैसे तुमको निकालूँ मैं यादों से।

वो तुम ही तो थे जो दिल से ,
खुशी मेरी चाहते थे हर पल,
कहाँ खो गए तुम दुनिया मे ।

तुम तो चले गए दुनिया मे खो कर ,
अपनी यादों को क्यो छोड़ गए ,
मुझे तन्हा कर जाने को ।

तेरी यादों का ही सहारा है जीने को ,
पल पल जो गुज़रता है याद में तेरे,
तेरी याद में मेरी खुशी याद बन गई।

सारिका औदिच्य

*डॉ. सारिका रावल औदिच्य

पिता का नाम ---- विनोद कुमार रावल जन्म स्थान --- उदयपुर राजस्थान शिक्षा----- 1 M. A. समाजशास्त्र 2 मास्टर डिप्लोमा कोर्स आर्किटेक्चर और इंटेरीर डिजाइन। 3 डिप्लोमा वास्तु शास्त्र 4 वाचस्पति वास्तु शास्त्र में चल रही है। 5 लेखन मेरा शोकियाँ है कभी लिखती हूँ कभी नहीं । बहुत सी पत्रिका, पेपर , किताब में कहानी कविता को जगह मिल गई है ।