लघुकथा

जुगाड़

कोरोना वायरस की वजह से चल रहे देशव्यापी लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग के चलते शादी के लिए दूल्हे राजा सुषेन डंग का मुंबई से बरेली या दुलहनिया रानी कीर्ति नारंग का बरेली से मुंबई आना संभव नहीं हो पा रहा था, तो क्या शादी रोक दी जाए! नहीं, बिलकुल नहीं. कोई जुगत सोचते है!

पुराना इतिहास खंगाला गया. राजपूतानी की शादी राजपूत की तलवार से ही हो जाती थी. उस समय तो कैमरा तक नहीं थे! आजकल तो बच्चे-बच्चे के हाथ में मोबाइल होता है. विडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा भी तो मौजूद है. बड़े-बड़े विश्व सम्मेलन विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सम्पन्न हो रहे हैं, तो शादी क्यों नहीं हो सकती?

बड़े पैमाने पर ‘संगीत सेतु’ का आयोजन भी तो सफलतापूर्वक संपन्न हुआ न! इसमें देश-विदेश की फिल्मी हस्तियों द्वारा अपनी-अपनी उपस्थिति दर्ज की गई और वह भी आला दर्जे की. यह सब ऑनलाइन हुआ.

हम भारतीयों की यह पहचान है. कि हम जिस हाल में रब राखे, रहने को राजी हो जाते हैं और हंसते-हंसते हर चुनौती का मुकाबला कर लेते हैं. कोई काम नहीं रोकते, फिर भला शादी-ब्याह कैसे रुकेगा?

दूल्हे ने मुंबई और दुलहन ने बरेली से की विडियो कॉन्फ्रेंसिंग पर शादी की.
डेस्टिनेशन वेडिंग की प्लानिंग थी. पर कोई बात नहीं. हल्दी व मेंहदी समेत शादी की सभी रस्मों को ऑनलाइन निभाया गया. धूमधाम से हुई इस शादी में करीब 150 बाराती शामिल हुए। शादी के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का भी पूरा ख्याल रखा गया. मंत्रोच्चार के साथ शादी कराने वाले पंडित जी छत्तीसगढ़ के रायपुर के थे.

अब आप इसे ऑनलाइन शादी कहें या जुगाड़, शादी तो हो गई.

जुगत लगाकर जुगाड़ तो करना ही पड़ता है न!

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

6 thoughts on “जुगाड़

  • मनमोहन कुमार आर्य

    आपकी रचना बहुत अच्छी लगी। जहां वहां चाह की युक्ति के अनुसार हम हर समस्या का हल निकाल सकते हैं। इसे जुगाड़ भी कह सकते हैं। विवाह में मुख्य भूमिका वेद मंत्रों के पाठ, अग्निहोत्र तथा पति व पत्नी के एक दूसरे को दिये जाने वाले वचनों व वायदों की होती है। आज यह काम वीडियो कान्फ्रेसिंग के द्वारा सम्भव है। अतः भौतिक रूप में न सही, विवाह की रस्में तो सम्पन्न की ही जा सकती है। विवाह में मुख्य वर व वधु के हृदय का एक दूसरे से मिलना होता है। वह विवाह तय होने पर ही हो जाते हैं। अतः बची हुई परम्परायें एक स्थान पर न होकर मोबाईल व मोबाईल को बड़े स्क्रीन पर कनेक्ट करके हो जाती है। आपका लिखा विवरण पढ़ कर अच्छा लगा।

    मुझे एक घटना याद है। सन् 1939 में हैदराबाद में आर्य सत्याग्रह चल रहा था। हमारे एक युवक सत्याग्रही श्री लक्ष्मीदत्त दीक्षित उस सत्याग्रह में गये थे। उनका विवाह पहले से तय था। तिथि आ गई तो पिता ने पुत्र को लौटने को कहा। पुत्र ने कहा कि नहीं मैं नहीं आ सकता। सत्याग्रह के संचालक के आग्रह करने पर भी लक्ष्मीदत्त जी ने उनकी बात नहीं मानी। बाद में यह तय किया गया कि जिस तरह मुगल काल में जब पंजाब में युद्ध होते थे तो सैनिक की पगड़ी लड़की वालों के पास भेज दी जाती थी। उसी को वर का प्रतीक मान कर सारी रस्में पूरी की जाती थी। लक्ष्मीदत्त जी के मामले में भी ऐसा ही किया गया और विवाह हो गया। यह लक्ष्मीदत्त दीक्षित जी आर्यसमाज के बहु प्रतिभाशाली विद्वान थे। कई गुणों में इन जैसा विद्वान देश में उत्पन्न नहीं हुआ। हार्दिक धन्यवाद। सादर।

    • लीला तिवानी

      प्रिय मनमोहन भाई जी, रचना पसंद करने, सार्थक व प्रोत्साहक प्रतिक्रिया करके उत्साहवर्द्धन के लिए आपका हार्दिक अभिनंदन. आपकी मिसाल भी बहुत अच्छी लगी. इसे जुगाड़ भी कह सकते हैं और हर समस्या का हल निकालने की युक्ति भी. ब्लॉग का संज्ञान लेने, इतने त्वरित, सार्थक व हार्दिक कामेंट के लिए हृदय से शुक्रिया और धन्यवाद.

  • लीला तिवानी

    प्रिय गुरमैल भाई जी, रचना पसंद करने, सार्थक व प्रोत्साहक प्रतिक्रिया करके उत्साहवर्द्धन के लिए आपका हार्दिक अभिनंदन. ब्लॉग का संज्ञान लेने, इतने त्वरित, सार्थक व हार्दिक कामेंट के लिए हृदय से शुक्रिया और धन्यवाद.

    • लीला तिवानी

      प्रिय मनमोहन भाई जी, रचना पसंद करने, सार्थक व प्रोत्साहक प्रतिक्रिया करके उत्साहवर्द्धन के लिए आपका हार्दिक अभिनंदन. समय के अनुसार खुद को ढाल लेने में ही भलाई है. इसी से मन को सुकून भी मिलता है और तन-मन सबल हो जाता है. ब्लॉग का संज्ञान लेने, इतने त्वरित, सार्थक व हार्दिक कामेंट के लिए हृदय से शुक्रिया और धन्यवाद.

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    यह जुगाड़ बहुत पसंद आया . इस मुसीबत की घडी में आज के इंटरनेट सेतू के माध्यम से बहुत अछे काम हो रहे हैं जो आगे जा कर हमारे समाज के बहुत से काम आसान कर देगा . neccesity is the mother of invension, यह कहावत आज सच साबत हो गई .

  • लीला तिवानी

    Coronavirus: भारत सरकार लाई ‘ट्विटर सेवा’, तुरंत मिलेंगे सवालों के जवाब
    भारत समेत दुनिया भर में कई देश इस वक्त कोरोना वायरस के संक्रमण की चपेट में हैं। सरकार इस सर्विस के जरिए लोगों तक कम से कम समय में मदद पहुंचाएगी।

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