इतिहास

‘राष्ट्रगान’ पर उठा प्रतिप्रश्न और मेरा प्रत्युत्तर !

मेरे द्वारा मांगी गयी सूचना पर गृह मंत्रालय, भारत सरकार के केंद्रीय जन सूचना अधिकारी के पत्रांक- 24/49/2012-पब्लिक/दि.06.03.2012 प्राप्त हुआ, जिनकी बिंदु सं.2 में लिखा है- “भारत का राष्ट्रगान ‘जन-गण-मन’ भारत की संविधान सभा द्वारा 24 जनवरी 1950 को अंगीकार किया गया । इस मंत्रालय के पास उपलब्ध पुस्तकों- ‘Our National Songs’, published by the Publications Division, Ministry of Information & Technology, Govt. Of India और ‘India’s National Anthem’ written by PRABODH CHANDRA SEN के अनुसार ‘जन-गण-मन’ गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर की रचना है । मूल बांग्ला में लिखित राष्ट्रगान की प्रति इस मंत्रालय के अभिलेखों में उपलब्ध नहीं है।”

गृह मंत्रालय के पत्रांक- 24/3/2013-पब्लिक/दि.04.01.2013 भी प्राप्त हुआ, जिनकी बिंदु सं.1 में उद्धृतानुसार ‘Our National Songs’ नवम्बर 1951 में प्रकाशित है, जबकि ‘India’s National Anthem’ का प्रथम संस्करण विश्व भारती, कलकत्ता द्वारा मई 1949 में प्रकाशित है।

…..परंतु भारत सरकार ने इन दोनों पुस्तकों में ‘जनगणमन-अधिनायक’ प्रकाशित जिन प्रतियां लिए पुस्तकीय-साक्ष्य भेजा है, वह गृह मंत्रालय के हस्ताक्षरित और मुहर प्राप्त है, जिनमें Reprinted April 1995 लिए संस्करण है । इसके साथ ही संविधान सभा की 24 जनवरी 1950 की प्रति भी संलग्न है, जिनके द्वारा ‘जन गण मन’ को राष्ट्रगान के रूप में स्वीकृत किया गया है।

ध्यातव्य है, भारत सरकार के पास उपर्युक्त दोनों किताब ही साक्ष्य के तौर पर है, किन्तु उनके पास बतौर साक्ष्य दोनों किताब क्रमशः नवम्बर 1951 और अप्रैल 1995 संस्करण लिए ही है। जबकि ‘राष्ट्रगान’ के रूप में यह 24 जनवरी 1950 को ही स्वीकृत हो चुका था। गृह मंत्रालय ने दूसरे व्यक्ति (श्रीमान् प्रबोध चंद्र सेन ) की किताब में छपी रचना को आधार माना है, किन्तु मुझे प्रदान कराया गया संस्करण अप्रैल 1995 का है । इतना ही नहीं, संविधान सभा की जो प्रति भेजा गया है, उनमें ‘जन गण मन’ के कवि/लेखक का नाम नहीं है तथा गीत/कविता के सभी 5 स्टेन्ज़ा में किसी एक या प्रथम-मात्र का भी जिक्र नहीं है।

OUR NATIONAL SONGS में श्रीमान् रबीन्द्रनाथ टैगोर के द्वारा संपादित ‘तत्वबोधिनी’ पत्रिका में ‘भारत विधाता’ गीत का जिक्र भर है , जबकि ‘OUR..’  पुस्तक में टैगोर के गीत ‘जय हे’ का ही जिक्र है , वहीं ‘जन गण मन’ का अनुवाद हिन्दुस्तानी भाषा में श्रीमान् सुभाष चंद्र बोस के आज़ाद हिन्द सरकार के द्वारा बताया गया है । वहीं प्रबोध चंद्र सेन की किताब को अगर मई 1949 का संस्करण लिए मान भी लिया जाय, तो भी उस किताब में टैगोर के गीत के रूप में ‘जन गण मन’ को राष्ट्रगान 24 जनवरी 1950 लिए पूर्णतः गलत और भ्रामक है। ‘राष्ट्रगान’ के वर्त्तमानस्वरूप के रचनाकार कौन है ? अब भी राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ रवीन्द्रनाथ टैगोर का ही होने संबंधी प्रत्यक्ष कोई प्रमाण भारत सरकार के पास नहीं है । मूल बांग्ला कृति तक उनके पास नहीं हैं ।

बताते चलूँ कि नोबेल पुरस्कृत कृति ‘गीतांजलि’ के गुरुदेव, टैगोर, ठाकुर से सम्बंधित कोई जानकारी गृह मंत्रालय, भारत सरकार  के पास नहीं है। यह भी जानकारी मुझे सूचना अधिकार अधिनियम के अंतर्गत प्राप्त हुई है।

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.