सामाजिक

मध्यम वर्गीय परिवार और देश की सरकार

“दो पाटों के बीच में, दबी हुई असहाय |
मध्यम श्रेणी दुख सहे,कोई नहीं सहाय” ||

जी हाँ कितनी सरकारें आयी गयीं किसी ने मध्यम परिवारों के विषय मे नहीं सोंचा |मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए आज तक किसी भी सरकार ने कोई ऐलान नहीं किया | वर्तमान सरकार भी मध्यम वर्ग के प्रति उदासीन है |
समाज के गरीब तबके को केंद्र सरकार /प्रदेश सरकार पूरी तरह राहत पहुंचाती है, किंतु ऐसा मध्यम वर्ग जो बहुत आर्थिक परेशानियों में घिरा है उसकी ओर सरकार का ध्यान नहीं जाता क्यों ?
बीते हफ़्तों में केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार ने निम्न वर्ग के लिए बहुत कुछ किया है,और आने वाले हफ़्तों में धीरे- धीरे लोगों की आवश्यकताओं को और भी अधिक पूरा करने का वादा किया है, जो सराहनीय है|
सरकार ने मध्यम वर्ग के लिए किस्तो एवं कर अनुपालन की समय सीमा के संदर्भ में कुछ रियायतें अवश्य प्रदान की हैं , परन्तु ! इसका लाभ तो वे मध्यम वर्गीय ही उठा पाएंगे जो सरकारी या गैर सरकारी नौकरियों में हैं ,ऐसे व्यापारी जिनके व्यापार से बारहों मास आमदनी होती है,वो मध्यम वर्ग जिसकी गांवो में खेती और अपना घर है, किराये के मकानों में नहीं रहते |
परन्तु ! मध्यम वर्गीय ऐसे परिवार जिनका व्यापार मौसमी (सीज़नल) है , जिनकी गांवों में खेती बारी भी नहीं है, शहरो में किराये के मकानों में रहकर छोटा मोटा मौसमी व्यापार करते है |
उनके लिए इस छूट से भी राहत नहीं दिख रही |उदाहरण के तौर पर सहालक वाले काम ,(लाइट,केटरिंग )ब्रास बैंड, जागरण,आदि ऐसा व्यक्ति क्या करेगा ?
घर का किराया ,राशन,बिजली,पानी,बच्चे की पढ़ाई का शुल्क सभी भुगतान ही तो शेष हैं•••और
आमदनी शून्य ••• ऐसे में यह मध्यम वर्ग क्या करे ?
कैसे जिये ?
मंथन करने का विषय है |इस मध्यम वर्ग की हालत अत्यंत दयनीय है | पढा लिखा यह वर्ग इस कोरोना नामक वैश्विक महामारी के दौर में बीमारी के भय के साथ साथ जीवन यापन की किस मानसिक यातना के कड़े दौर से गुज़र रहा है सरकार इसको भी महसूस करे |इस वर्ग में ऐसे लोग भी हैं जो कई बड़ी बीमारियों को ढो रहे है ,जिनकी दवाईयों का खर्चा भी बहुत है ,कुछ ऐसे भी है 50 – 60 कि उम्र के हैं , कुछ ऐसे जो बेरोज़गार है |
इस लेख का उद्देश्य केंद्र सरकार /प्रदेश सरकार का ध्यान ऐसे मध्यम वर्गीय परिवारों की ओर कराना है जो इस वैश्विक महामारी के संकट काल मे हताशा के गहरे सागर में डूबते जा रहे हैं |
सरकार को इस वर्ग की राहत के लिए भी कोई ठोस कदम उठाना चाहिए ,ऐसी राहत देनी चाहिए जो ऐसे परिवारों में जीवन आशा का संचार करे |
इनके लिए राहत उपाय इनकी जरूरतों के आधार पर हो |
सरकार ने कई योजनाओं के तहत निम्न वर्ग के लिए बहुत कार्य किये जैसे -किसान मनरेगा , गरीब विधवा पेंशन, दिव्यांग , जनधन योजना, उज्ज्वला योजना ,सेल्फ हेल्प ग्रुप (वुमेन) इसके अतिरिक्त आयुष्मान योजना, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के अंतर्गत किसान मदूरों के अकाउंट में प्रति माह 2000 रुपये डालना ,अन्य गरीब दिहाड़ी मजदूर 1000 रुपए बैंक में जमा कराना|
पर वो मध्यम वर्ग जो हाथ फैलाकर मांग भी नहीं सकता न ही अपना दुख- दर्द रो -चिल्ला कर बता सकता है| क्या उसकी ओर सरकार का कोई कर्तव्य नही है ? ऐसे वर्ग की ओर सरकार इतनी उदासीन क्यों है ?
आइये हम ऐसे मध्यम वर्ग की आवाज़ बन कर उनके दर्द से केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार को अवगत कराएं |

— मंजूषा श्रीवास्तव ‘मृदुल’

*मंजूषा श्रीवास्तव

शिक्षा : एम. ए (हिन्दी) बी .एड पति : श्री लवलेश कुमार श्रीवास्तव साहित्यिक उपलब्धि : उड़ान (साझा संग्रह), संदल सुगंध (साझा काव्य संग्रह ), गज़ल गंगा (साझा संग्रह ) रेवान्त (त्रैमासिक पत्रिका) नवभारत टाइम्स , स्वतंत्र भारत , नवजीवन इत्यादि समाचार पत्रों में रचनाओं प्रकाशित पता : 12/75 इंदिरा नगर , लखनऊ (यू. पी ) पिन कोड - 226016