लघुकथा

अनोखा दहेज

रजनी के विवाह की चर्चा पूरे गाँव में थी।सभी लोग हैरान थे कि उसका विवाह  इतने बड़े घर में हो रहा हैं! लड़के के पिता ने दहेज में अच्छी मोटी रकम वसूलने का प्रोग्राम बना रखा था। सभी अच्छी तरह जानते थे कि रजनी के पिता के पास तो दो समय की रोटी का भी जुगाड़ नही था। फिर वह दहेज में मांगी गई चीजों की माँग कैसे पूरी करेगा?
लड़के के पिता सेठ हीरा लाल जी बहुत कंजूस थे।रजनी के पिता ने दहेज में माँगी गई ,सभी चीजें देना सहज ही स्वीकार कर लिया था। परन्तु एक ही शर्त थी कि दहेज का सारा सामान विवाह के बाद ही मिलेगा। सेठ जी ने शर्त मान ली थी। विवाह पूरे रीति-रिवाज से सम्पन्न हो गया। सेठ जी दहेज में मिलने वाले समान का बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। पर उन्हें वहाँ दहेज में मिलने वाला समान  कार, फ्रिज,सोफा-सेट , रंगीन टेलीविज़न दिखाई नही दे रहा था।तभी रजनी की माँ एक डिब्बा लेकर आई।डिब्बा देखकर सेठ जी का चेहरा खिल गया।उन्हें लगा डिब्बे में कैश छिपा हैं।उन्होंने डिब्बा खोला तो हैरान रह गए।डिब्बे में खिलौना कार, सोफा-सेट, रंगीन टेलीविजन,फ्रिज सभी चीजें खिलौनों में थी। ये देखकर सेठ जी के पाँव तले से ज़मीन खिसक गई। डिब्बे में एक पर्चा भी था। जिस पर लिखा था।दहेज लेना तथा दहेज देना अपराध है।सेठ जी बुरी तरह डर गए। उन्होंने रजनी को बड़े प्यार से स्वीकार कर लिया।

— राकेश कुमार तगाला

राकेश कुमार तगाला

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