लघुकथा

समाधान

कल शाम को जैसे ही वह चाय बनाने किचन में गई और रेडियो ऑन किया, रेडियो में कोई हलचल ही नहीं हुई. शायद कोई लूज़ कनक्शन हो गया था. असल में रेडियो उसके मन-बहलाव का साधन भी था और ज्ञान का अजस्त्र स्त्रोत भी.

उसके किचन में जाते ही रेडियो ऑन हो जाता था. रेडियो की तरन्नुम में वह काम करती जाती थी, सर्दी-गर्मी, पसीना-चिपचिपाहट का उसे अहसास ही नहीं होता था, बस उसे मिलता था परमानंद. अब 24 घंटे होने को आए, रेडियो बंद पड़ा था.

24 घंटे!

24 घंटे उसे 24 साल पीछे ले गए. 24 साल पहले उसे दिमागी चोट लगी थी, जिससे उसकी जिंदगी से सुगंध और स्वाद चले गए थे. वह अपनी सूँघने और स्वाद लेने की शक्ति खो बैठी थी. पारिवारिक डॉक्टर के मुताबिक उसे अनोसमिया (गंधज्ञानाभाव) की बीमारी हो गई थी.

कितनी परेशान थी वह! सूँघने की शक्ति खो बैठने के कारण वह अपने बच्चों, अपने घर और अपने बगीच़े की खुशब़ू की कमी महसूस करती और यही कमी अवसाद का रूप ले बैठी. अस्वाद की बीमारी के कारण वह अब बस जीवित रहने के लिए ही खाती थी. खाना उनके लिए ऐसे ही जैसे कार के लिए पेट्रोल. इससे अधिक कुछ नहीं.

डॉक्टर इस बीमारी को अजीब बताते हुए उन्हें यह कहकर लौटा देते कि इसका कोई इलाज ही नहीं है.

कोई कहता “इसमें दर्द नहीं होता है, इसलिए इस बीमारी के साथ जीना सीख लो.”

वहीं चिकित्सा जगत के बाहर के लोग इस बीमारी को मनोरंजक मानते हुए एक विषमता के रूप में देखते. फिर उसने जो रह गया है, उसी से काम चलाना सीख लिया.

”अब मैं बनावट के जरिए ही टमाटरों में फर्क कर सकती हूं. सूँघने की शक्ति खोने से पहले मैं इस बारे में सोच भी नहीं सकती थी.” उसने युक्ति निकाली थी.

”भले ही रेडियो के मुकाबले मोबाइल का उपयोग करना थोड़ा मुश्किल है, लेकिन जब तक रेडियो ठीक हो, मोबाइल से काम चलाओ.” उसने अवसाद से बचने हेतु समाधान निकाला था.

चलते-चलते
आप लोगों के पास भी ऐसी छोटी-छोटी समस्याओं के अति सरल उपाय मौजूद होंगे. कामेंट्स में उनको साझा करना न भूलें. आपके ये उपलब्ध सरल उपाय किसी का अवसाद हटाकर उसको जीवनदान दे सकते हैं. आप लोग जानते ही हैं- ” ”सहमे हुए जज्बात अवसाद का कारण बनतेः हैं और अवसाद यानी जिंदगी का अवसान”.

पुनश्च-
यह लघुकथा 3 जून को लिखी गई थी. तब तक गंध-स्वाद अभाव (गंधज्ञानाभाव) का कोरोना से कोई संबंध नहीं बताया जा रहा था. अब 1-2 दिन से रेडियो पर बताया जा रहा है कि गंध-स्वाद ज्ञानाभाव भी कोरोना के नए लक्षणों में से एक प्रमुख लक्षण है.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “समाधान

  • लीला तिवानी

    आत्मबल जगाइए, अवसाद को दूर हटाइए. अपने विश्वास पर विश्वास रखना आत्मविश्वास बान जाता है, यही आत्मविश्वास हर संकट में संबल बान जाता है.

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