गीतिका/ग़ज़ल

गीतिका

बेजुबान मत बन कर बैठो खुलकर अपनी बात कहो
दिन को दिन बोलो, मत अंधियारो को कभी ,प्रभात कहो
कुछ तो अब करना ही होगा सोए हुए जगाने को
नयी राह से मन्जिल पाओ मत बाधा की बात कहो
शुद्ध पवन,आहार शुद्ध हो और शान्त माहोल रहे
करो मरम्मत बिल्ड़िंग की,दृड़ता सहती आघात कहो
ना जाति से छोटा कोई ,ना जाति से बड़ा कोई
कर्म बड़ा तो बड़ा आदमी,कर्म को ही अभिजात कहो
गिद्ध खड़े है घेर तुम्हे, गर मरे तो वो खा जायेगें
लाश ही गिद्धो का भोजन क्या बात नही है ज्ञात कहो
— शालिनी शर्मा

शालिनी शर्मा

पिता का नाम-स्वर्गीय मथुरा प्रसाद दीक्षित माता का नाम -श्रीमती ममता दीक्षित पति का नाम-श्री अनिल कुमार शर्मा वर्तमान स्थायी पता- केऐ-16 कर्पूरी पुरम गाजियाबाद फोन न0- 9871631138 जन्म एंव जन्म स्थान-09.04.1969, परीक्षित गढ़ गाजियाबाद उप्र शिक्षा एवं व्यवसाय-बीएससी बीएड़,अध्यापिका व सहायक NCC आफिसर (13 यूपी गर्ल्स बटालियन) प्रकाशित रचनाएं एवं विवरण-अमर उजाला काव्य में 48 रचनायें प्रकाशित, विभिन्न पत्रिकाओं में रोज रजनाएं प्रकाशित होती हैं,दो तीन सम्मान प्राप्त