बाल कविता

बाल कविता – सयानी सी जल रानी

इठलाती  सी  बलखाती  सी
लहराती  जल   में  रानी  सी
जल ही जीवन जल ही जग है
जल  में  रहती  महारानी  सी

मेरे  घर  के  आंगन  में   इक
छोटे   से   घर   में   रहती  है
जिस पल देखे वो मुझे निकट
यूं  उछल उछल कर कहती हैं
गर बनी हो  रक्षक जीवन  की
करने  दो  कुछ  मनमानी  सी
जल ही जीवन…………….

रंग   बिरंगी   काया   उनकी
जब  मेरे  मन  को  भायी थी
छोटा  सा  एक जलाशय  मै
तब अपने  घर  में  लायी थी
बचपन  बीता अब  हुई  बड़ी
करती  कुछ  कुछ शैतानी सी
जल ही जीवन…………….

थोड़े   से  दाने  भोजन  के
खाकर  ये  अपना भरें उदर
गर कोई हाथ लगाता इनको
तो  ये  हो  जाती  इधर उधर
छोटा  सा  अपना खोलें मुख
लगती  है  बड़ी  सयानी  सी
जल ही जीवन…………..

इठलाती   सी  बलखाती  सी
लहराती  जल   में   रानी  सी
जल ही जीवन जल ही जग है
जल  में  रहती  महारानी  सी।।

— अनामिका लेखिका

अनामिका लेखिका

जन्मतिथि - 19/12/81, शिक्षा - हिंदी से स्नातक, निवास स्थान - जिला बुलंदशहर ( उत्तर प्रदेश), लेखन विधा - कविता, गीत, लेख, साहित्यिक यात्रा - नवोदित रचनाकार, प्रकाशित - युग जागरण,चॉइस टाइम आदि दैनिक पत्रो में प्रकाशित अनेक कविताएं, और लॉक डाउन से संबंधित लेख, और नवतरंग और शालिनी ऑनलाइन पत्रिका में प्रकाशित कविताएं। अपनी ही कविताओं का नियमित काव्यपाठ अपने यूटयूब चैनल अनामिका के सुर पर।, ईमेल - anamikalekhika@gmail.com