कविता

मेरे हमदम

जीवन के सफर में मिले थे जब हम दो अजनबी,
संग गुनगुनाएं थे गीत हमने भी कभी।
खिले थे फूल हमारे घर अंगना ,
तब हम ही तो रहते थे तुम्हारे दिल के करीब ।।
अफसोस तो होगा तुम्हे अपनी नादानियों का भी,
मिले ओर मिलकर छोड़  जाना याद आयेगा ।
याद करोगे मेरे प्यार को जब भी,
मुझ से दिल का लगाना याद तो आयेगा ।।
चले गए अगर तुम  छोड़कर हमको ,
यकीन है याद तो हम जरूर आएंगे ।
ढूंढ़ोगी तन्हाई  में  भी अगर कभी ,
हम हमेशा मुस्कराते हुए ही नजर आएंगे ।।
सूखेंगे नही कभी तेरी आँखों से आँसू,
 तेरा मुझको रह रहकर रुलाना याद आयेगा ।
नाजुक सा  दिल था मेरा प्यार मे तुम्हारे,
शीशे की तरह तोड़कर तुम्हारा जाना याद आयेगा ।।
सितम ढाया तुमने मेरी हजारों वफाओं पर ,
हर वक्त  मेरे दिल को तड़फ़ाते चले गए तुम ।
कितने जुल्म किये थे तुमने ये गिन भी न पाए हम ,
सितम करते करते सितमगर हो गए हो तुम  ।।
जीवन की राहों मे मिलेंगे ओर बहुत लोग तुमसे,
भुला न सकोगे मुझे न मेरी वफाओं को भूल पाओगे ।।
लेंगे फिर से जन्म एक बार मिलने को तुमसे,
मिले किसी राह मे अगर गीत  मेरे ही गुनगुनाआगे ।।
— भगतसिंह

भगतसिंह

शिक्षा: परास्नातक मोबाइल नंबर: 9818040999 जन्मतिथि:11.02.1971 जन्भूमि: उत्तर प्रदेश कर्मभूमि: दिल्ली शौक: हिंदी साहित्य , कविता एवं लघु कथा लेखन अपने बारे में चंद शब्द: हिंदी साहित्य की प्रवर्तियों, विषय-वस्तुओं, रूप विधानों का अध्ययन , तथा राष्ट्रीय जीवन धारा के निकट रहने मे प्रयासरत