अन्य लेख

खुल जाए सिम-सिम

जैसे-जैसे बचपन बीतता गया, मर्ज बढ़ता गया, जिंदगी की हकीकतों के अनेक जादुई दरवाजे ‘सिम-सिम’ कर खुलने लगे…. तब मालूम हुआ कि कोई थानेदार, तहसीलदार, जागीरदार, तालुकदार या मालदार यूं ही नहीं बन जाता ! उसके पीछे काफी मेहनत-मशक्कत, पढ़ाई-लिखाई और घिसाई होती है !

घर से रोज नसीहतें मिलती कि कोई भी ‘दार’ यानी रसूखदार, दमदार, मालदार, इज्जतदार, थानेदार, जागीरदार, तहसीलदार इत्यादि बनना हो तो सबसे पहले ईमानदार बनो !

रास्ता जरुर कुछ अड़चनों भरा और घुमावदार होगा, पर ‘मलाईदार’ जॉब पाना है तो एक तरह से इसे ‘मस्ट’ समझो, अन्यथा जमादार, चौकीदार या झाड़ूदार बनना तो तय है ही! घरवाले अक्सर एक लाइन का एक मुहावरा व ताना सुनाते व मारते-
“पढ़ोगे-लिखोगे बनोगे नवाब,
खेलोगे-कूदोगे बनोगे खराब !”

आज की तारीख में सब उल्टा-पुल्टा हो गया है….
खेलने-कूदने वाले ‘भारत-रत्न‘ और पढ़े-लिखे लोग भाँड़ में….
श्री अभिषेक शर्मा और श्री राजेश मंगल जी के प्रति हृदयश: आभार !

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.