बाल कविता

शैतान चूहा 

एक दिन चूहा बन गया शेर,
करने निकला जंगल की सैर।
धमा-चौकड़ी खूब मचाता,
रौब से था सबको धमकाता।
सारे जानवर मिलकर संग,
देख रहे सब उसे हो दंग।
छुपी बैठी थी बिल्ली रानी,
चुप देखे उसकी मनमानी।
जब बिल्ली को गुस्सा आया,
गुस्से से माथा ठनकाया।
बिल्ली ने फिर डाँट लगाई,
ची-ची कर भागे चूहे भाई।
— आयुषी अग्रवाल

आयुषी अग्रवाल

स०अ० कम्पोजिट विद्यालय शेखूपुर खास कुन्दरकी (मुरादाबाद)