धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

झालर बावड़ी ग्राम का चारभुजा तीर्थ स्थल

राजस्थान में कोटा के समीप रावतभाटा से दो किलोमीटर दूर चारभुजानाथ जी का चार
सौ वर्ष पुराना मंदिर है। एक भव्य तीर्थ स्थल। इस स्थल का नाम झालरबावड़ी है
पर प्रचलित नाम चारभुजा ही है। मान्यता है कि भक्त मन्नत मानते है वह अवश्य ही
पूरी होती है। मन्नत पूर्ण होने पर अपनी श्रद्धा अनुसार भगवान को पोशाक प्रसाद
के साथ कई बार रसोई भी करते हैं अर्थात अपने इष्ट मित्रों को भोजन बनवाकर
मंदिर में भोग लगवाकर प्रसादी करते हैं। रावतभाटा परमाणु नगरी के निवासी भी इस
भव्य मूर्ति के दर्शन हेतु आते है। समीप के ग्रामवासियों में भी इस मंदिर के
प्रति अपार श्रद्धा है। मुंडन संस्कार होते हैं। विवाह का प्रथम निमंत्रण
कार्ड इसी मंदिर में दिया जाता है। विवाह के पश्चात दूल्हा दुल्हन प्रथम
आशीर्वाद लेने इसी मंदिर में आते है। संतान प्राप्ति पर भी नवजात को इसी मंदिर
में लाने की परंपरा है। नए वाहन कार बाइक स्कूटी ट्रैक्टर की प्रथम पूजा भी
इसी मंदिर के द्वार पर सम्पन्न होती है। जन्माष्टमी पर ग्राम पंचायत मेले का
भी आयोजन करती है। जन्माष्टमी पर हजारों दर्शनार्थियों की भीड़ को नियंत्रित
करने के लिए व्यवस्था की जाती है। मंदिर के बाहर प्रसाद की दुकानों के पेडे
प्रसिद्ध हैं। सुबह पांच बजे से रात्रि नौ बजे तक मंदिर खुला रहता है। बीच में
दोपहर में 12 बजे से दो बजे तक ठाकुरजी के विश्राम के समय दर्शन बंद रहते है।
दोनों समय मंदिर की भोजनशाला में निर्मित भोजन का भोग लगाया जाता है। मंगला
आरती सुबह पांच बजे बाद में सुबह आठ बजे दस बजे शाम को सात बजे एवं रात्रि नौ
बजे शयन आरती होती है। रात्रि नौ बजे मंदिर के कपाट बंद होते हैं सुबह पांच
बजे खुलते है। परमाणु नगरी रावतभाटा में कई नए पुराने मंदिर है पर इस मंदिर के
चारभुजा जी में श्रद्धालुओं की अगाध श्रद्धा है। कुछ दर्शनार्थी प्रतिदिन भी
दर्शन हेतु आते है। मैं भी कई वर्षों से प्रतिदिन दर्शन हेतु जाता था अभी
कोरोना संक्रमण के कारण मंदिर कई महीने बंद भी था इसलिए व्यवधान आ गया है। तीन
चार वर्षों से प्रति रक्षा बंधन एवं भाई दूज पर मंदिर की सेविका शकुंतला बहन
से टीका करवाने जाता हूं। मेरी बेटी का मुंडन एवम मेरी बेटी की बेटी का मुंडन
संस्कार इसी मंदिर में सम्पन्न हुआ था।

मेरी चारभुजा जी में अटूट आस्था है मेरी कई समस्याओं का समाधान इसी मंदिर के
भगवान ने किया है। जब भी आपका कोटा आना हो तो समय निकालकर इस मंदिर में आकर
चारभुजाजी का आशीर्वाद लेने आइए एवम मानसिक शांति पाइए। श्री चारभुजानाथ भगवान
को प्रणाम।

— दिलीप भाटिया

*दिलीप भाटिया

जन्म 26 दिसम्बर 1947 इंजीनियरिंग में डिप्लोमा और डिग्री, 38 वर्ष परमाणु ऊर्जा विभाग में सेवा, अवकाश प्राप्त वैज्ञानिक अधिकारी