लघुकथा

लाकडाउन

दिनभर घर में घुसे घुसे तुम बोर नहीं होते बेटे, बाहर का हाल भी देख आओ मां ने बेटे को प्यार से कहा, ये लाकडाउन तो है पर कैद होना भी ठीक नहीं

पर मां ये लापरवाही होगी  क्योकि ये धोखा होगा जो मैं खुद से ही करूंगा। सरकार ये सब अपने लिए ही तो कर रही है। वरना किसे पड़ी । ये दुनिया खुद के लिए जीती है और किसे पड़ी है कि औरों की चिन्ता करें। मास्क लगाना हमारी नौतिक जिम्मेदारी है और ये डराकर नहीं होगा खुद को ही सोचना होगा, तब बदलाव आयेगा। ये लाकडाउंन अपनी भलाई के लिए है आप समझो मां

 

 

अभिषेक जैन

माता का नाम. श्रीमति समता जैन पिता का नाम.राजेश जैन शिक्षा. बीए फाइनल व्यवसाय. दुकानदार पथारिया, दमोह, मध्यप्रदेश