कविता

नई सुबह

हर सुबह
इक नया नकोर पन्ना मिलता है, नया कुछ लिखने को,
मत पलट बीती जिन्दगी के पन्नों को अब,
बस आगे बढ़, बहुत कुछ है अभी जीने को,
रस्ते बदल जाने से मंज़िलें नही बदला करती,
मजबूत इरादों से हर मुकाम हांसिल हैं,
हर सुबह यहीं कहती है, रात काली कितनी भी हो, 
अपने पीछे इक सवेरा छुपा कर लाती है …सुमन”रूहानी”

सुमन राकेश शाह 'रूहानी'

मेरा जन्मस्थान जिला पाली राजस्थान है। मेरी उम्र 45 वर्ष है। शादी के पश्चात पिछले 25 वर्षों से मैं सूरत गुजरात मे रह रही हुँ । मैंने अजमेर यूनिवर्सिटी से 1993 में m. com किया था ..2012 से यानि पिछले 6 वर्षों कविताओं और रंगों द्वारा अपने मन के विचारों को दूसरों तक पहुचने का प्रयास कर रही हुँ। पता- A29, घनश्याम बंगला, इन्द्रलोक काम्प्लेक्स, पिपलोद, सूरत 395007 मो- 9227935630