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सामाजिक सरोकार की अध्ययनार्थी

* अर्चना कुमारी कई रिकॉर्डधारी तो हैं ही, साथ ही मर्मस्पर्शी कलाकार, सामाजिक सरोकार की अध्ययनार्थी, मुफ़्त सेवाप्रदातृ, विज्ञान और इतिहास की संयुक्त अन्वेषिका तथा कुव्यवस्था से जूझती शिक्षिका हैं ।

* जन्म अस्सी के दशक में तीन फरवरी को पूर्वी बिहार में संघर्षशील,किन्तु प्रगतिशील मृद्कलाकार परिवार में तथा संत महर्षि मेंहीं के अनन्य भक्त व 1942 क्रान्ति के अनन्य सेनानी पूज्य बाबा योगेश्वर प्रसाद सत्संगी की पौत्री और गीत संगीतकार पूज्य अटकू दर्फ़ी की नातिनी के रूप में हुई ।

* ‘अर्चना’ नाम देकर मात्र चार माह बाद ही बिहार, झारखंड और नेपाल के प्रसिद्ध संत महर्षि मेंहीं ब्रह्मलीन हो गए । वर्ष 1987 में भयंकर बाढ़, 1988 में मनिहारी गंगा नदी में स्टीमर के डूबने से सैकड़ों की संख्या में मौत होने से सुश्री अर्चना की शैशवावस्था को प्रभावित की ।

* उनकी जन्मभूमि बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला के नवासे शौकतजंग की कर्मभूमि, बांग्ला साहित्यकार बनफूल की जन्मभूमि, श्रीकृष्ण की विहारस्थली और पांडवों के अज्ञातवासस्थली भी रही हैं । ऐसी ऐतिहासिक बिम्ब के संरक्षणार्थ उनके द्वारा कई कार्यक्रमों में अनिवार्यरूपेण संदर्भित की जाती रही हैं।

* उनकी शिक्षा– बिहार के बी एन मंडल यूनिवर्सिटी से विज्ञान स्नातक, इग्नू दिल्ली से इतिहास में स्नातकोत्तर सहित कंप्यूटर कौशल और डी.एल.एड. है।

* सुश्री अर्चना संभवतया भारत के सबसे युवा महिला ग्राम कचहरी सचिव सहित बिहार की पहली महिला ग्राम कचहरी सचिव हैं, जिन्हें कई प्रसंगश: माननीय हाईकोर्ट की शरण में जानी पड़ी है ।

* सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 के अंतर्गत ‘केंद्रीय सूचना आयोग’ (CIC) में ‘द्वितीय अपील’ वाद (case) दायर करनेवाली भारत की पहली महिला हैं। इसतरह से पहली महिला RTI एक्टिविस्ट भी है ।

* शिक्षकों को मजदूर जैसे सोचने वाले लोगों, अभिभावकों और अधिकारियों को वे डाँट लगाती हैं कि शिक्षक को अगर स्वाभिमानजीवी के रूप में नहीं छोड़ेंगे, तो वे कभी भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान नहीं कर सकते हैं, क्योंकि शिक्षक मजदूर नहीं, अपितु देवता, राष्ट्रनिर्माता व मार्गदर्शक होते हैं ।

*सुश्री अर्चना के द्वारा कई पुरुष-नमामि पूजा-पाठ और उपक्रम के विरुद्ध अभियान चला रखी हैं , जैसे:- सदियों से मनाये जाने वाले भैयादूज की परम्परा को बदलकर बहनदूज क्यों नहीं ही किया जाय?

* आल इंडिया रेडियो के एक कार्यक्रम ‘पब्लिक स्पीक’ के माध्यम से इनकी खोज प्लास्टिक खानेवाले कीड़े को लेकर पेटेंट संबंधी गंभीर चर्चा चली है ।

* अपने घर पर ऐसे पौधे को संरक्षण प्रदान की हैं , जिनके लिए उनकी दावा है कि इस पत्ती की जूस नियमानुकूल पीने से खाँसी और टी बी रोग दूर हो जाते हैं ।

* सिंधु घाटी सभ्यता से प्राप्त अबूझ चित्र लिपि को वे फख़्त सांकेतिक-सन्देश भर मानती हैं, न कि किसी पढ़नेयोग्य लिपि की अबूझ-पहेली ।

* अपनी शरीर को कलाकार की कृति के रूप में प्रस्तुत करती हुई गला को 180 डिग्री के विन्यास पर कई घंटे नचा सकती हैं, तो हाथ की मध्यमा अँगुली के जोड़ की संधिस्थल पर अँगुली फोड़ने की आवाज एक मिनट में 150 से अधिक बार करा सकती हैं, इसे अज़ूबा वर्ल्ड रिकार्ड्स ने अपने वेब पेज में शामिल किया है।

* डायरी में महापुरुषों के सर्वाधिक सूक्त लिखने के साथ-साथ सर्वाधिक सुडोकू क्लिपिंग्स संग्रहित करने पर लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड्स में 2 रिकार्ड्स, सिर्फ 5 माह में सर्वाधिक नियुक्ति पत्र प्राप्त करने पर वर्ल्ड रिकॉर्ड्स इंडिया, इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड्स और असिस्ट वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज, Guinness World Records हेतु पंजीकृत। इसके साथ ही और भी कई उपलब्धियाँ सुश्री अर्चना के खाते दर्ज़ है।

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.