कविता

मां

मां दिल की हर धड़कन में है
संस्कारों की सीख उसी से
खून के कतरे कतरे में वो
प्राणों का आधार उसी से

खुशियों में हो भले न शामिल
लेकिन दुःख में सदा वह पास
सत्य और तप के सम्बल से
मुझको लेती सदा उबार

मां कहां गयी अभी यहीं थी
मेरे सिरहाने पे खड़ी थी
अभी तो सर पर धरा था हाथ
ली थीं बलैया किया था प्यार

मुझे पता है पास नही वह
कबकी दूर जा चुकी मुझसे
फिर भी बन मेरी परछाई
देती सदा आशीष ह्रदय से

— नवल अग्रवाल

नवल किशोर अग्रवाल

इलाहाबाद बैंक से अवकाश प्राप्त पलावा, मुम्बई