कविता

बीत गई सो बीत गई

न शोक करो
न खुशफहमी पालो,
जो बीत गई,वो बात गई
अब वो इतिहास हो गई।
वो कहावत तो सुनी है न
रात गई ,बात गई
सो अब वर्तमान में लौटिए,
अब आज कुछ कीजिए
अंतर्मन में झांकिए
भविष्य का विचार कीजिए,
बीते कल के
अच्छे बुरे के चक्कर में
आने वाला कल
न खराब कीजिए।
बीता कल अच्छा नहीं था
तो भी कोई बात नहीं,
आने वाले कल को तो
सुधार लीजिये,
बीता कल अच्छा था तो भी
आने वाले कल को
और भी अच्छे साँचे में
ढालने का इंतजाम
आज से नहीं अभी से ही
शुरु कीजिए।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921