पद्य साहित्य

गर्मी में दे शीतलता का अहसास

बेल का शर्बत कुछ नए अंदाज में पेश करने की कोशिश की है शायद पसंद आए! जैसा कि आप सभी जानते हैं कि कोरोना की वजह से बाहर से कुछ पेय मंगाना, यानि मुसीबत को आफ़त देने जैसा है। बच्चे क्या? बड़े भी इस भीषण गर्मी से परेशान हो रहे हैं। इस गर्मी में हमारे घर में भी कुछ ऐसा माहौल हो गया कि सब कहते हुए दिखे…..

“हाय-हाय गर्मी,
उफ-उफ गर्मी,
सितम ढाये यह भीषण गर्मी,
क्या-क्या रंग दिखाए यह गर्मी,
मम्मी कुछ करो ना,
ऐ जी कुछ घर में ही बनाओ ना!”

रोज़ सुन-सुनकर पक गए मेरे कान,
मैंने भी ठान ली कुछ अलग करने की,
लग गई सोचने! क्या बनाऊं-क्या बनाऊँ?
जो इस भीषण गर्मी में भी दे शीतलता का अहसास,
और साथ में इम्यून सिस्टम भी रखे दुरुस्त।

कुछ देर ठहर…

आ गया आईडिया!

तो सुनिए आप सब भी ध्यान से…

सबसे पहले झोला ले,
मुंह पर लगा मास्क,
हाथों में पहन दस्ताने,
पंहुची सब्जी वाले भैया जी के पास,
ली एक सुंदर सी बेल गोल-मटोल,
आ घर में हाथ किए सैनिटाइज,
बेल को भिगो नमक डले गर्म पानी में,
दो घंटे बाद निकाल किया उसका तिया-पाचा,
सबसे पहले छलनी में छान,
लगी उसकी लुगदी बनाने,
थोड़ा-थोड़ा पानी भी डालती रही साथ में,
जब हो गया बेल का काम तमाम,
तब जलाकर गैस का चूल्हा,
झोक दिया उसे आग में जलने,
ले चार बड़ी चम्मच चीनी,
मिलाती रही धीरे-धीरे,
ताकि जलते हुए भी रहे मीठी-मीठी,
उतारने से पहले डाला उसमें आधा नींबू,
ताकि रह सके सही-सलामत क‌ई दिनों तक,
एक दिन में ही थोड़े ना निबटानी सारी,
दस मिनट तक करती रही उसकी निगरानी,
अब ज्यादा ज्यादती भी किसी पर ठीक नहीं,
तो गैस बंद कर नीचे पंखे के रखा ठंडा करने,
शीशी में भर भेजा उसे फ्रिज की ठंडक दिखाने,
फिर गिलास में स्वादानुसार डाल,
साथ में पानी,बर्फ और सोडा भी डाल,
अगर न पसंद हो सोडा तो पानी ही डाल,
पेश किया ठंडा पेय सभी को घर में,
फिर लौटी चेहरे की रंगत सबकी,
मेरे कानों को भी मिला विश्राम।

आशा रखती आप सबसे भी,
शायद पसंद आए सभी को,
यह शीतल पेय,
जो गर्मी में भी दे,
शीतलता का अनुभव सबको।

मौलिक रेसिपी
नूतन गर्ग (दिल्ली)

*नूतन गर्ग

दिल्ली निवासी एक मध्यम वर्गीय परिवार से। शिक्षा एम ०ए ,बी०एड०: प्रथम श्रेणी में, लेखन का शौक