कविता

रक्तदान

हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई
आपस मे हैं सब भाई भाई
वैर भाव क्यों रखना भीतर
एक रक्त जब सबके अंदर
लाखों रुपयों को लुटाकर
मिले न शांति सुन ले बशर
मंदिरों में देना अच्छा दान
पर उससे बढ़कर रक्तदान
रक्तदान कर जीवन बचा ले
ढेरों अनमोल दुआएँ पा ले
बचेगा किसी घर का चिराग
रक्तदान से कभी दूर न भाग
मानवता की है यही पुकार
दया करबद्ध हो करे गुहार
बात मेरी जो तू मानव मान
सबका हो जग में कल्याण

— नीलोफ़र-नीलू

नीलोफ़र नीलू

वरिष्ठ कवयित्री जनफद-देहरादून,उत्तराखण्ड