स्वास्थ्य

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 जून को मनाया जाता है यह दिन वर्ष का सबसे लंबा दिन होता है,और योग भी मनुष्य को दीर्घ जीवन प्रदान करता है।पहली बार योग दिवस 21 जून 2015 को मनाया गया था योग मूल रूप से हमारे शरीर में संतुलन प्राप्त करने की एक विधि है।अर्थात ताकत बढ़ाना लचीलापन बढ़ाना और आध्यात्मिकता प्राप्त करना यो तंदुरुस्त मन के साथ-साथ एक स्वस्थ शरीर को प्राप्त करने के लिए काम करता है। हमारा सबसे बड़ा धन हमारा स्वास्थ्य है आज के दौर में लोग, तनाव ,थकान ध्रूम पान मोटापा, मधुमेह,अनिद्रा जैसी समस्याओं से पीड़ित हो रहे हैं। इन सब से बचने के लिए हमारे पास एक बहुत बढ़िया इलाज है। जिसे हम योग कहते हैं। यह केवल शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने का माध्यम नहीं है बल्कि यह एक दर्शन है जिसका लाभ व्यापक है। योग आत्मा से परमात्मा को जोड़ता है योग का अर्थ है जोड़ना यानी समाधि लगाना हर कार्य को करते हुए ईश्वर को याद करना धैर्य और साहस के साथ आगे बढ़ना अपने अंतःकरण को मजबूत करना सकारात्मक सोच को योग से प्राप्त कर सकते हैं। अनेक लोगों ने योग की शक्ति को अपनाकर कई रोगों को खुद से दूर किया है। अपने जीवन को खुशहाल किया है आज योग ने पूरे विश्व में अपनी एक मजबूत पकड़ बना ली है।आज अमेरिका में करोड़ों से ज्यादा लोग रोजाना योग करते हैं।योग शरीर को संतुलित रखता है ।इससे पाचन प्रणाली ठीक होती है एसिडिटी से छुटकारा मिलता है।चिंता तनाव कमर और पीठ दर्द से आराम मिलता है पेट में जमीन अतिरिक्त चर्बी और मोटापा दूर करने में सहायक है।यदि हम योग को अपने जीवन का हिस्सा बना ले तो स्वयं को स्वयं के माध्यम से स्वयं तक पहुंचाने की यात्रा है।जीवन में सफलता का परचम लहराने के लिए तन ,मन और आत्मा का स्वस्थ होना अति आवश्यक है।जब तक हम स्वयं को स्वयं से नहीं जोड़ेंगे समाधि लगाना कठिन होगा। योग, धर्म ,आस्था ,और अंधविश्वास से परे एक सीधा विज्ञान है। जीवन जीने की कला है। योग अगर समय का अभाव है तो केवल 20 मिनट निकालकर ही योग करें 10 मिनट कपालभाति और 10 मिनट अनुलोम-विलोम इसे मानसिक तनाव जैसी बीमारी का नाश होगा जितने भी जहर हमारे दिमाग में बनते हैं उन सभी को नष्ट करेगा कपालभाती पेट, हर्ट किडनी ,लीवर आंतें सभी को निरोग करता है। आप दो ही कर ले वैसे पूरी दुनिया को योग से निरोग बनाया जा सकता है। अगर हम बीमारियों से और दुखों से दूर होना चाहते हैं,तो स्वयं का आचरण,विचार ,चरित्र इतना ऊंचा करें कि हमें स्वयं पर गर्व होने लगे। भगवान श्री कृष्ण ने भी गीता में कर्म की ही शिक्षा दी और कहा कि मनुष्य कर्म करने के लिए विवश है। चाहे वह अच्छा करें या बुरा कर्म तो करना ही पड़ेगा तो क्यों ना अच्छा ही करें जब सूर्य चंद्रमा जल ,पेड़, पौधे ,पशु ,पक्षी ,पृथ्वी सारी सृष्टि मानव के कल्याण में लगी हुई है। तो फिर मानव क्यों मानव की सेवा नहीं कर सकता हम कम से कम खुद को अच्छा स्वास्थ्य देने के लिए यह प्रयास कर सकते हैं।भारत के प्रत्येक परिवार को स्वस्थ होना चाहिए कोरोना काल में भी योग से हजारों लोगों की इम्युनिटी बढ़ी है और वह पूरी तरह स्वस्थ हुए हुए हैं,हम संकल्प लें कि इस कार्य में अपने जीवन के अंतिम दिन तक लगे रहेंगे, क्योंकि यह काम हमारे अपने लिए हैं। हमारे अपने परिवार के लिए है नहीं अकेले पाना है, इस योग साधना का लाभ जो भी मिले साथ ले ले, घर से ही करें शुरुआत,उम्र कोई भी हो स्वस्थ सही हो फिर भी योग तो करना है बढ़ चढ़कर हिस्सा लेना है, स्वस्थ अगर जो रहना है हर कोई इसको कर सकता है, छोटा बड़ा अमीर गरीब ना औषधि की आवश्यकता ना ही बीमारी आए क़रीब सुख से जी और सुख से ही जीने भी दे हम सबको वेद पुराण शास्त्र सारे ही यही बतलाते हैं। स्वस्थ रहने और शरीर के संतुलन को बनाए रखने के लिए योग सबसे अच्छा रास्ता है।

— आसिया फारूकी

*आसिया फ़ारूक़ी

राज्य पुरस्कार प्राप्त शिक्षिका, प्रधानाध्यापिका, पी एस अस्ती, फतेहपुर उ.प्र