कविता

हमसे बिछड़कर…

हमसे बिछड़कर
गम उनका भी कम न होगा
ये बात और है कि वो
जताते नहीं

ये हवाएं जरूर एहसास कराती होगी
उनके चेहरे पर मेरी जुल्फों का
मचल उठते होंगे
मेरे एहसासों के आगोश में खोकर
हर दूरी मिटा लेते होंगे
मेरी पनाहों में
ये बात और है कि
वो जताते नहीं

मेरे बगैर तन्हाईयाँ
जब घेर लेती होगी दामन उनका
मेरी कविताओं को चूमकर बहलाते होंगे दिल अपना
अपने जज्बातों को कोरे पन्नों पे लेटाकर
प्रेम के रंग भरते होंगे
ये बात और है कि वो
जताते नहीं

मेरी यादें होंगी उनके गिरफ्त में
ये जानती हूं मैं
देखा है उनकी आंखों में चाहतों का दरिया
ये बात अलग है कि वो इंकार कर जाते हैं

उनके लवों पे नाम है मेरा
हर शिकायत में प्यार है मेरा
उनके हर सुबह हर शाम में शामिल है इंतजार है मेरा
ये बात और है कि वो
जताते नहीं…..

*बबली सिन्हा

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