सामाजिक

कोरोना के बढ़ते प्रभाव, आपदा या अवसर

दोस्तों, आज हम सभी लोग जानते हैं कि इस समय हमारा देश कोरोना की तीसरी लहर में पहुंच रहा है। जिसके चलते देश का हर नागरिक परेशान हो रहा है । जहांँ इस समय हमें एक साथ खड़े होकर इस समस्या का समाधान खोजना चाहिए, वही हम लोग कहीं ना कहीं इसे एक आपदा ना समझ कर अवसर के रूप में आंक कर रहे हैं।

प्रश्न उठता है कि इस समस्या से निपटने के लिए सरकार और प्रशासन ने किस प्रकार की व्यवस्था कर रखी है दिल्ली से लेकर देश के हर एक राज्य में हम देखकर आ रहे हैं कि जहां अस्पतालों में बेड की कमी है उससे भी ज्यादा आवश्यकता है ऑक्सीजन की है ऑक्सीजन की कमी के चलते हैं नागरिकों के बीच त्राहि-त्राहि मची हुई है इस स्वास्थ्य की अव्यवस्था के पीछे जिम्मेदार कौन है ?

जाहिर सी बात है कि आम जनता इसका जिम्मेदार शासन तथा प्रशासन को ठहरा रही है। क्योंकि हम जानते थे कि इस समय ना केवल हमारे देश में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी कोरोना का प्रभाव देखने को मिला है जिसके चलते हमें अपने देश में इसकी संपूर्ण व्यवस्था कर लेनी चाहिए थी। परंतु दुखद बात है कि जहां देश की शासन ,प्रशासन और बड़े-बड़े नेताओं को कोरोना से निपटने की तैयारी करनी चाहिए थी वहां वे लोग बंगाल मे चल रहे चुनाव की राजनीति में व्यस्त थे। जो लोग इसमें शामिल नहीं थे।वे एक दूसरे का दोष और प्रत्यारोप करते हुए नजर आ रहे थे।

परंतु यदि हम बात करें आम जनता की जो इस संकट की समस्या को फैलाने में शासन और प्रशासन को भ्रष्ट और ना जाने क्या क्या कहने से नहीं चूकते क्या वह अपना कार्य इमानदारी से कर रहे हैं नहीं, वह ऐसे मौके मैं भी अवसरवादिता को नहीं खाने देते हो जैसे कि हमारे अस्पताल प्रबंधक शासन द्वारा नियत की गई राशि से दुगनी कीमत तक सुविधाएं उपलब्ध कराना और जहां तक हम बात करें ऑक्सीजन की, टीकाकरण की ,वह जरूरत की वस्तुओं को वह अधिक से अधिक दामों पर बेचना है क्या उनका यहां उनका यह कर्तव्य नहीं है कि वह इस आपदा की घड़ी में नागरिकों को सहयोग करें।

जहांँ विटामिन सी की कमी के चलते डॉक्टर हमें निंबू नारंगी तथा संतरों का सेवन करने के लिए बोलते हैं वही इनकी कीमतों में परिवर्तन हुआ है कि आम जनता की पहुंच से बाहर है। लाकडाउन के चलते किराना दुकानदारों ने दैनिक दिनचर्या मैं प्रयोग में आने वाली वस्तुओं की कीमतों को बढ़ा रखा है ।

ऐसे में क्या देश कोरना जैसी महामारी पर विजय हासिल कर पाएगा नहीं यह तभी संभव हो सकता है जब शासन से लेकर प्रशासन और प्रशासन से लेकर आम जनता तक एक-एक नागरिक अपना कार्य इमानदारी से करते हुए मानवता का परिचय दें। और हम मुनाफा खोरी को छोड़कर मानवता पर ध्यान दें तभी हम इस महामारी पर अपना विजय प्राप्त कर सकते है।

देश में आज भी ऐसे इमानदार लोग है जो आज भी निस्वार्थ भाव से इय संकट की घडी में अपना कार्य कर रहे हैं, आप सभी से निवेदन है कि अपनी मानवता का परिचय दीजिए और देश को इस संकट की घड़ी से बाहर निकालने में सबका सहयोग करें।

मौलिक,स्वलिखित भावनाओं के साथ

 

डॉ.सारिका ठाकुर “जागृति”

लेखिका, कवियत्री, शिक्षिका, समाजसेविका

ग्वालियर (मध्य प्रदेश)

डॉ. सारिका ठाकुर "जागृति"

ग्वालियर (म.प्र)