भाषा-साहित्य

कोरोनाकाल की कैद में सौरभ दम्पति ने रची तीन पुस्तकें

डॉ सत्यवान सौरभ एवं प्रियंका सौरभ आज किसी परिचय के मोहताज नहीं है, एक दोहाकार के रूप में जहां उनकी दोहा सतसई ‘तितली है का खामोश’ के अलावा हजारों दोहे प्रकाशित हो चुके हैं, वह दैनिक स्तंभकार के रूप में राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में समसामयिक विषयों संपादकीय पृष्ठों पर पर प्रमुखता से प्रकाशित हो रहे हैं।

कोरोनाकाल की कैद ने उन्हें राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर स्तंभ लेखन के लिए प्रेरित किया, जिसमें उनकी पत्नी प्रियंका तथा परिजनाें का बहुमुखी योगदान रहा। दोहा संग्रह “तितली है खामोश” , व्यंग्य “आंध्या की माख़ी राम उड़ावै” और निबंध “नए पंख” डॉ सत्यवान सौरभ एवं प्रियंका सौरभ की कोरोना काल में रची नयी कृतियाँ है जिनके अंश आये दिन देश-विदेश की पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते हैं.  माता कौशल्या तथा पिता रामकुमार के आदर्शों से प्रेरित होकर रचनात्मक  लेखन में पदार्पित हुए डॉ.सौरभ मानते कि भले ही वे कविताएं आदि लिखते रहे हैैं, किंतु साहित्य में दोहा ही उनकी प्रिय विधा रही है। आलेख, निबंध तथा फीचर लेखन उनकी अभिव्यक्ति के अन्य प्रमुख रूप हैं

करीब डेढ़ दशक पहले हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड, भिवानी ने विद्यार्थियों तथा शिक्षकों के दो वर्गों में काव्य पाठ तथा स्लोगन लेखन प्रतियोगिता के प्रदेशभर से चयनित प्रतिनिधियों के  फाइनल मुकाबले में   राज्य कवि उदयभानु ‘हंस’ के हाथों आशीर्वाद स्वरुप सांत्वना पुरस्कार से अलंकृत एक छात्र आज भारत के प्रमुख अखबारों में नियमित लेखन से समाज को एक सृजनात्मक दृष्टिकोण देने के लिए तत्त्पर है।

डॉ सत्यवान सौरभ एवं प्रियंका सौरभ आज किसी परिचय के मोहताज नहीं है, एक दोहाकार के रूप में जहां उनकी दोहा सतसई ‘तितली है का खामोश’ के अलावा हजारों दोहे प्रकाशित हो चुके हैं, वह दैनिक स्तंभकार के रूप में राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में समसामयिक विषयों संपादकीय पृष्ठों पर पर प्रमुखता से प्रकाशित हो रहे हैं। लेखन की रूचि-अभिरुचि से जुड़ी अर्धांगिनी प्रियंका के जीवन में आने के बाद उनकी लेखकीय साधना व प्रतिभा निरंतर नई धार मिली है।

आजकल इस सौरभ दिव्य-दंपति की लेखनी का समसामयिकी पर दैनिक लेखन नई पीढ़ी के लिए प्रेरणापुंज है। प्रमुख राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं के अलावा इनके स्तंभ अंग्रेजी तथा हिंदी भाषाओं में करीब चार हजार वेबपोर्टल न्यूज़पेपर्स में प्रतिदिन देश और दुनिया में प्रकाशित हो रहे हैं। इससे दोनों की चिंतनशीलता, लेखकीय दक्षता तथा नियमितता के प्रति समर्पण व साधना का ही प्रतिफल कहा जाएगा कि सामाजिक व सांस्कृतिक पहलुओं पर केंद्रित राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर बहुआयामी लेखन मौलिक सूझबूझ के साथ हो रहा है।

हरियाणा प्रदेश के लिए भी यह गर्व का विषय है कि एक गांव से प्रदेश, देश व दुनिया को चिंतक व विचारक की दृष्टि से देखा जा रहा है। जहां डॉक्टर सत्यवान एक रिसर्च ऑथर  हैं, वहीं परास्नातक कर चुकी मेधावी प्रियंका आजकल शोध की तैयारी में हैं। एक ओर जहां यह जोड़ी विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयारी एवं अध्यापन में जुटी है, वहीं वे दोनों अपने नवाचारी प्रकल्प आरके फीचर्स के माध्यम से स्तंभ लेखन में निरंतर नए आयाम रचते जा रहे हैं।

एक सवाल के जवाब में डॉ. सौरभ बताते हैं कि लिखते तो वे बचपन से ही रहे हैं, किंतु कोरोना काल की कैद ने उन्हें राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर स्तंभ लेखन के लिए प्रेरित किया, जिसमें प्रियंका तथा परिजनाें का बहुमुखी योगदान रहा। माता कौशल्या तथा पिता रामकुमार के आदर्शों से प्रेरित होकर रचनात्मक  लेखन में पदार्पित हुए डॉ.सौरभ मानते कि भले ही वे कविताएं आदि लिखते रहे हैैं, किंतु साहित्य में दोहा ही उनकी प्रिय विधा रही है। आलेख, निबंध तथा फीचर लेखन उनकी अभिव्यक्ति के अन्य प्रमुख रूप हैं।

साहित्य एवं स्तंभ लेखन के लिए  हरियाणा से आईपीएस मनुमुक्त मानव पुरस्कार,उत्तर प्रदेश की राष्ट्रभाषा रत्न पुरस्कार, साहित्य साधक सम्मान के अलावा हिसार के प्रेरणा पुरस्कार, अखिल भारतीय साहित्य परिषद् की भिवानी शाखा तथा आईपीएस मानव मुक्त मानव पुरस्कार से अलंकृत डॉ सौरभ कम उम्र में परिपक्व लेखन से विशिष्ट पहचान बना चुके हैैं। आकाशवाणी दूरदर्शन तथा इलेक्ट्रॉनिक चैनल्स पर पैनलिस्ट के तौर पर भी उनकी मौलिकता प्रेरक रही है। युवाओं के नाम अपने संदेश में वे कहते हैं कि वैज्ञानिक  दृष्टिकोण से निष्पक्ष मूल्यांकन करते हुए रचनात्मकता से क्षेत्र विशेष में कार्य करें आपको सफलता अवश्य मिलेगी।

डॉ. सत्यवान सौरभ

✍ सत्यवान सौरभ, जन्म वर्ष- 1989 सम्प्रति: वेटरनरी इंस्पेक्टर, हरियाणा सरकार ईमेल: satywanverma333@gmail.com सम्पर्क: परी वाटिका, कौशल्या भवन , बड़वा (सिवानी) भिवानी, हरियाणा – 127045 मोबाइल :9466526148,01255281381 *अंग्रेजी एवं हिंदी दोनों भाषाओँ में समान्तर लेखन....जन्म वर्ष- 1989 प्रकाशित पुस्तकें: यादें 2005 काव्य संग्रह ( मात्र 16 साल की उम्र में कक्षा 11th में पढ़ते हुए लिखा ), तितली है खामोश दोहा संग्रह प्रकाशनाधीन प्रकाशन- देश-विदेश की एक हज़ार से ज्यादा पत्र-पत्रिकाओं में लगातार प्रकाशन ! प्रसारण: आकाशवाणी हिसार, रोहतक एवं कुरुक्षेत्र से , दूरदर्शन हिसार, चंडीगढ़ एवं जनता टीवी हरियाणा से समय-समय पर संपादन: प्रयास पाक्षिक सम्मान/ अवार्ड: 1 सर्वश्रेष्ठ निबंध लेखन पुरस्कार हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड भिवानी 2004 2 हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड काव्य प्रतियोगिता प्रोत्साहन पुरस्कार 2005 3 अखिल भारतीय प्रजापति सभा पुरस्कार नागौर राजस्थान 2006 4 प्रेरणा पुरस्कार हिसार हरियाणा 2006 5 साहित्य साधक इलाहाबाद उत्तर प्रदेश 2007 6 राष्ट्र भाषा रत्न कप्तानगंज उत्तरप्रदेश 2008 7 अखिल भारतीय साहित्य परिषद पुरस्कार भिवानी हरियाणा 2015 8 आईपीएस मनुमुक्त मानव पुरस्कार 2019 9 इंटरनेशनल जर्नल ऑफ़ रिसर्च एंड रिव्यु में शोध आलेख प्रकाशित, डॉ कुसुम जैन ने सौरभ के लिखे ग्राम्य संस्कृति के आलेखों को बनाया आधार 2020 10 पिछले 20 सालों से सामाजिक कार्यों और जागरूकता से जुडी कई संस्थाओं और संगठनों में अलग-अलग पदों पर सेवा रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस, दिल्ली यूनिवर्सिटी, कवि,स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार, (मो.) 9466526148 (वार्ता) (मो.) 7015375570 (वार्ता+वाट्स एप) 333,Pari Vatika, Kaushalya Bhawan, Barwa, Hisar-Bhiwani (Haryana)-127045 Contact- 9466526148, 01255281381 facebook - https://www.facebook.com/saty.verma333 twitter- https://twitter.com/SatyawanSaurabh