लघुकथा

लघुकथा- दरोगाजी की उदारता

दरोगा जी ने सरकारी गाड़ी रुकवा दी । अचानक से गाड़ी रुकने पर कांस्टेबल रामफल मुंह फाड़कर एक टक दरोगा जी को देखने लगा ।

‘मुंह बंद कर, दारू की बदबू आ रही है । ये ले मेरा फोन वीडियो प्लस फोटोग्राफी अच्छे से करना ।’ दरोगा जी ने रामफल को आदेश दिया ।

फुटपाथ पर एक बीमार सा व्यक्ति फटे पुराने चीथड़ों में लिपटा हुआ पड़ा था । उसके पास आकर दरोगा जी ने प्यार से उसे उठाया और ढावे से लाईं रोटियां बीमार आदमी को थमा दीं, साथ ही एक निवाला दरोगा जी ने उसके मुंह में अपने हाथ से दिया भी । ‘धन्यवाद !’ हाथ जोड़कर वापस दरोगा जी गाड़ी में आ विराजे ।

‘अरे वाह ! सर जी आपका तो बहुत बड़ा हृदय है। पर जूठीं रोटियां तो आपने चौकी के कुत्तों के लिए ली थीं ।’ रामफल ने आश्चर्य भाव में डरते हुए सवाल किया ।

‘चल फोन दे… तू नहीं समझेगा… फोटो सही से लिए कि नहीं, जरा देखूॅं ।’

दूसरे दिन अखबारों में एक पुलिस ऑफिसर की उदारता की न्यूज़ देशभर के लोगों ने पढ़ी । सोशल मीडिया पर देखते ही देखते दरोगा जी का वीडियो वायरल हो गया…।

— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

नाम - मुकेश कुमार ऋषि वर्मा एम.ए., आई.डी.जी. बाॅम्बे सहित अन्य 5 प्रमाणपत्रीय कोर्स पत्रकारिता- आर्यावर्त केसरी, एकलव्य मानव संदेश सदस्य- मीडिया फोरम आॅफ इंडिया सहित 4 अन्य सामाजिक संगठनों में सदस्य अभिनय- कई क्षेत्रीय फिल्मों व अलबमों में प्रकाशन- दो लघु काव्य पुस्तिकायें व देशभर में हजारों रचनायें प्रकाशित मुख्य आजीविका- कृषि, मजदूरी, कम्यूनिकेशन शाॅप पता- गाँव रिहावली, फतेहाबाद, आगरा-283111