गीतिका/ग़ज़ल

आँसू (आधार छंद)

सबको धीर बंधाते आँसू
सुख-दुख नीर बहाते आँसू –

समदर्शी हो रीत निभाते –
सच्ची प्रीत निभाते आँसू |

प्यार और उपहार मिले तो –
सजल नयन भर जाते आँसू |

रोना – हँसना भाव समेटे –
बिन बोले कहजाते आँसू |

ओर – कोर में छिप कर बैठे-
सरल हृदय बह आते आँसू |

अनुरक्ति- विरक्ति को थामे-
निर्झर बन झरआते आँसू |

मौन अधर कुछ बोल न पाये-
बह कर सब कह जाते आँसू |

भरी वेदना राह न सूझे-
नयी राह दिखलाते आँसू |

तप्त हृदय घनघोर अँधेरा –
नया सबेरा लाते आँसू |

हाथ छुड़ाले दुनिया सारी-
पल पल साथ निभाते आँसू |

— मंजूषा श्रीवास्तव “मृदुल”

*मंजूषा श्रीवास्तव

शिक्षा : एम. ए (हिन्दी) बी .एड पति : श्री लवलेश कुमार श्रीवास्तव साहित्यिक उपलब्धि : उड़ान (साझा संग्रह), संदल सुगंध (साझा काव्य संग्रह ), गज़ल गंगा (साझा संग्रह ) रेवान्त (त्रैमासिक पत्रिका) नवभारत टाइम्स , स्वतंत्र भारत , नवजीवन इत्यादि समाचार पत्रों में रचनाओं प्रकाशित पता : 12/75 इंदिरा नगर , लखनऊ (यू. पी ) पिन कोड - 226016