कवितापद्य साहित्य

मैंने देखा है

कभी हरे भरे थे जो
उन शाखों के पत्तो को सूखते हुए देखा है।

कच्ची नींद में आए
उन अधूरे सपनों को टूटते हुए देखा हैl

कुछ शीशों के टुकड़े बटोरते हुए
जीवन की कश्मकश से जूझते हुए देखा है।

कितनी अनकही बातों से
सवालों के जवाब बूझते हुए देखा है।

उस छूटे दामन को
दिल की वीरानियों में ढूढ़ते हुए देखा है।

जब साथ निभाने का वक्त था तब
उन रिश्ते नातों को रूठते हुए देखा है।

उन चहकती, चमकीली आँखों को
अपनी पलके मूंदते हुए देखा है।

~रूना लखनवी

रूना लखनवी

नाम- रूना पाठक उप्पल (रूना लखनवी) पता- दिल्ली, भारत मैंने बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी से विज्ञान में स्नातकोत्तर किया है। वर्तमान में, मैं एक फार्मास्युटिकल कम्पनी में वरिष्ठ प्रबंधक की तरह कार्यरत हूँ। साहित्यिक उपलब्धि :- वूमेन एकस्प्रेस, दक्षिण समाचार प्रतिष्ठा, आज समाचार पत्र , कोलफील्ड मिरर , अमर उजाला काव्य (ऑनलाइन) , पंजाब केसरी (ऑनलाइन) , मॉम्सप्रेस्सो में कविताएँ, लघु कथा कहानी, स्वतंत्र अभिव्यक्ति की रचनाएँ प्रकाशित। सम्पर्क https://www.facebook.com/Runa-Lakhnavi-108067387683685 सम्मान: 1. मॉम्सप्रेस्सो हिन्दी लेखक सम्मान; 2. राष्ट्रीय कवयित्री मंच- नारी शक्ति सम्मान 2020 3. साहित्य संगम संस्थान- सम्मान 4. अभिनव साहित्यिक मंच - सम्मान