गीत/नवगीत

समय भले ही बहुत है बीता

प्रेम दिनों-दिन बढ़ता जाता, आँखें तुम्हारी गहरी हैं।
समय भले ही बहुत है बीता, याद आज भी ठहरी हैं।।

यादों में जीते हैं हम संग।
सौन्दर्य पूरित, है अंग-अंग।
उम्र भले ही हुई पचास की,
बुद्धि और उर की जारी जंग।
मन मारतीं, उर है दबातीं, लज्जा तुम्हारी प्रहरी है।
समय भले ही बहुत है बीता, याद आज भी ठहरी हैं।।

कब तक यूँ मारोगी मन को।
सुन्दर हो तुम, सजाओ तन को।
पास नहीं आ सकतीं माना,
बातों से हरषाओ मन को।
हम तो गाँव के गँवार रह गए, तुम बनीं अब शहरी हैं।
समय भले ही बहुत है बीता, याद आज भी ठहरी हैं।।

करते हैं हम तुम्हारी प्रतीक्षा।
प्रेमी कभी करते न समीक्षा।
इंतजार की वेला असीमित,
प्रेम की तुमने ही दी दीक्षा।
उर की पुकार, जबाव नहीं है, जान बूझकर बहरी है।
समय भले ही बहुत है बीता, याद आज भी ठहरी हैं।।

डॉ. संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी

जवाहर नवोदय विद्यालय, मुरादाबाद , में प्राचार्य के रूप में कार्यरत। दस पुस्तकें प्रकाशित। rashtrapremi.com, www.rashtrapremi.in मेरी ई-बुक चिंता छोड़ो-सुख से नाता जोड़ो शिक्षक बनें-जग गढ़ें(करियर केन्द्रित मार्गदर्शिका) आधुनिक संदर्भ में(निबन्ध संग्रह) पापा, मैं तुम्हारे पास आऊंगा प्रेरणा से पराजिता तक(कहानी संग्रह) सफ़लता का राज़ समय की एजेंसी दोहा सहस्रावली(1111 दोहे) बता देंगे जमाने को(काव्य संग्रह) मौत से जिजीविषा तक(काव्य संग्रह) समर्पण(काव्य संग्रह)