कविता

भैयादूज की महिमा

कार्तिक मास का शुक्ल पक्ष आया,
आई देखो पावन द्वितीया तिथि ।
इसी दिन होता है दूज पर्व भी,
और हो पूजा चित्रगुप्त जी की भी।

भाईबहन यम यमुना के मिलन का
अद्भुत है यह पर्व पुनीता।
बहन से मिलने आये थे यम आज
अतः कहें इसे यम की द्वितीया।।

बहन से मिलने यम के आने से,
बना पर्व यह भाई बहन का।
भाई बहन के मिलन दिवस से,
बना पर्व यह भाई दूज का।

इसी लिए यह बनी मान्यता ,
जब भाई बहनों के घर जाये।
बहना अपने भैया को खुशी से,
मीठा मीठा पकवान खिलाये।।

रोली ,अक्षत, शुभ चंदन ले ,
टीका करे औरआरती उतारे।
और अपने प्यारे भैया राजा की,
ले बलाएँ ,बुरी नजर निवारे।।

सुख समृद्धि के कर मंगल भाव,
प्रभु से सम्मुख झोली फैलाये।
और भाई भी प्यारी बहना को,
घर आने का आमंत्रण दे आये।।

माता पिता भले न हों बहना,
पर मैं तो हूँ तेरा भाई प्यारा।
तू जब चाहे आ कर रहना बहना,
उस घर पर भीअधिकार तुम्हारा।।

भाई को यह सदा चाहिए कि
बहन को बेटी की तरह दुलार दे।
भाई दूज की सार्थकता को
देकर प्यार मजबूत आधार दे।।

तब बहन ही नहीं भाई का भी
निश्चित ही होवेगा कल्याण ।
मिले यम यमुना का आशीर्वाद ,
दोनों का जीवन होगा खुशहाल ।।

*सुधीर श्रीवास्तव

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