बाल कविता

बाल कविता – वीरांगना झलकारी बाई 

रणभूमि  में  वह  ललकारी  थी
अंग्रेजों पर वह अकेली भारी थी ।
रानी वेश में  डटकर युद्ध किया
झांसी की शेरनी वह झलकारी थी ।।
वीरता की कायल सारी दुनिया थी
मानों वह देवी चण्डी अवतारी थी ।
राष्ट्र प्रेम,बलिदान का दिया संदेश
झांसी की शेरनी वह झलकारी थी ।।
नारी  गौरव  की  नेतृत्व  धारी  थी
जीवन में कभी हिम्मत नही हारी थी ।
आत्म सम्मान का पाठ पढ़ाया जिसने
झांसी की शेरनी वह झलकारी थी ।।
— गोपाल कौशल “भोजवाल”

गोपाल कौशल "भोजवाल"

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