कविता

शुभ दिन जब आता है

जब जब शुभ दिन जग में आता है
हर पेड़ पे फसल उग जाता      है
गुलशन की कलियाँ महक जाती है
अच्छे दिन जग में जब जब आता है

जब जब शुभ दिन जग में आता है
दुश्मन भी खुशी से गले मिल जाता है
गले शिकवे नली में बह जाता      है
पराया भी अपना बन जाता        है

जब जब शुभ दिन जग में आता है
मौसम खुशगवार हो मुस्कुराता है
फिजां में ऋतुराज बसंत छा जाता है
चन्दन जंगल में महक जाता     है

जब जब शुभ दिन जग में आता है
कीचड़ में पंकज खिल जाता    है
गुदड़ी में भी लाल नजर आता है
बंजर में भी फसल लहलहाता है

जब जब शुभ दिन जग में आता है
पतझड़ में भी चमन खिल जाता है
नागफणियॉ भी खूबसूरत लगता है
तपता सूरज भी सुकून दे जाता है

जब जब शुभ दिन जग में आता है
हर काम समय पर सम्पन्न हो जाता है
ठोकर भी मानव को सीख दे जाता है
मंजिल सुलभ हो मिल जाता       है

— उदय किशोर साह

उदय किशोर साह

पत्रकार, दैनिक भास्कर जयपुर बाँका मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार मो.-9546115088