बाल कविता

प्रणय बंधन!

नन्ही चिड़िया,

फुदक फुदककर चली,
धुमरु की बारात चली,
बारात में थे हाथी, घोड़ा,
नाच रहे थे मोर-मोरनी,
छमछम चिहुंक चिड़िया बोली,
खूब नाचूंगी सखी मैं भी,
शुभमंगल गीत गाये कोयलियाँ,
इठलाये रंग बिरंगी तितलियाँ,
भवरे गुनगुन गुनगुन करते आये,
फूल महकते ताजगी लाये,
बगिया ने सुंदर शामियाना सजाया,
पराग कणों से फूलों ने महकाया,
श्रृंगार कर शरमाती दुल्हन आयी,
दूल्हा थाट बाट से बारात ले आया,
शोर, शराबा न कोई रुसवाई,
प्रणय बंधन की दी सब ने बधाई,
हंसी, ख़ुशी प्रीत रीत निभाई,
खूब खाओ मावा, मेवा, मिठाई।

*चंचल जैन

मुलुंड,मुंबई ४०००७८