बाल कविता

साइकिल

दो पहियों की गाड़ी प्यारी,
अद्भुत साइकिल की सवारी ।
होती सुविधा सब जन को,
तनिक न प्रदूषण फैलाती ।
जो नियमित इसे चलाते,
उत्तम स्वास्थ्य उनका बनाती ।।
दो पहियों की गाड़ी प्यारी,
साइकिल सफर में कभी न हारी ।
चाहे जाओ खेत, चाहे बाजार,
स्वयं बैठो और सामान भी लाओ ।
कसरत मुफ्त में हो जाती है,
पकड़ हैंडिल, पैड़ल खूब घुमाओ ।।
दो पहियों की गाड़ी प्यारी,
धो-पौंछकर रखते चाचा गिरधारी ।
भारी-भरकम वजन उठाती,
सहज ही हर घर में मिल जाती ।
सबसे सस्ती – सबसे अच्छी,
कच्ची-पक्की डगर पे चलती जाती ।।
दो पहियों की गाड़ी प्यारी,
अद्भुत साइकिल की सवारी ।
— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

नाम - मुकेश कुमार ऋषि वर्मा एम.ए., आई.डी.जी. बाॅम्बे सहित अन्य 5 प्रमाणपत्रीय कोर्स पत्रकारिता- आर्यावर्त केसरी, एकलव्य मानव संदेश सदस्य- मीडिया फोरम आॅफ इंडिया सहित 4 अन्य सामाजिक संगठनों में सदस्य अभिनय- कई क्षेत्रीय फिल्मों व अलबमों में प्रकाशन- दो लघु काव्य पुस्तिकायें व देशभर में हजारों रचनायें प्रकाशित मुख्य आजीविका- कृषि, मजदूरी, कम्यूनिकेशन शाॅप पता- गाँव रिहावली, फतेहाबाद, आगरा-283111