कविता

क्या दोगे जवाब

ओ परिंदे क्यों फसते हो?
इन गिद्धो की चाल मे।
बिछाते है जो शतरंजी मोहरे,
लड़ जाते हो तुम बाज से।।
दूर खड़े देख रहे सब तमाशा,
उजड़ रहा सब कुछ तुम्हारा।
उनका मकसद यही तो था,
बाज परिंदे को बर्बाद करना।।
समझो अब भी है समय,
ना बनाओ अहं की लड़ाई।
उन मासूमो का क्या होगा?
बिना कसूर जान पर बन आई।।
कहां करोगे तुम राज?
बंजर विरान धरती पर।
क्या दोगे जवाब जब?
मासूम तुमसे करेंगे प्रश्न।।
थोड़ा सा झुक जाओ,
मिलजुलकर कर लो बात।
सुलझाओ समस्या का हल,
ना करो गिद्धों पर विश्वास।।
— प्रियंका त्रिपाठी ‘पांडेय’

प्रियंका त्रिपाठी

BSc(Maths),DCA,MCA,BEd शाह उर्फ पीपल गाँव IIIT Jhalwa प्रयागराज उत्तरप्रदेश