राजनीति

उत्तरप्रदेश में योगी राज

उत्तर प्रदेश में भाजपा को बहुमत से एक बार फिर से सत्ता के सिंहासन पर जनता ने विराजित किया यह उत्तर प्रदेश में सुशासन देने वाली योगी सरकार की विजय है। यह उस विचार के विजय है जो रामराज्य को स्थापित करने के लिए संकल्पित है, यह उस विचार की विजय है जो धर्म को कर्तव्य मानता है। जो उत्तरप्रदेश के हर नागरिक में जनता को देखता है ना कि उसके मजहब को। तभी योगी के जनता दरबार मे कई मुस्लिम महिलाएं अपनी समस्या लेकर खड़ी दिखाई देती है। यह भारत के संविधान की विजय है। जो व्यक्ति को सुशासन के आधार पर चुनती है, जो सत्ता को पारदर्शिता से चलाने पर चुनती है, जो वंशवाद को मानकर किसी अयोग्य को सत्ता नही देती। ना ही किसी परिवार की गुलाम बनकर उसे अपना नेता चुन लेती है। अब उत्तरप्रदेश को जनता ने वंशवाद को छोड़कर, परिवार वाद को छोड़कर, धर्म और न्याय के साथ राज्य करने वाली व्यवस्था को चुना। इसके कई मुख्य कारण रहे।

“योगी की अद्वितीय छवि”

पिछला चुनाव केवल मोदी का चेहरा दिखाकर भाजपा ने उत्तरप्रदेश में विधानसभा चुनाव लड़ा, विजय होने के बाद योगी को सत्ता सौंपकर उन्हें एक आपराधिक राज्य की छवि बदलने की बड़ी जिम्मेदारी दी। योगी आदित्यनाथ ने इस कर्तव्य को बढ़े उत्साह से निभाया, एक सन्यासी का मुख्यमंत्री बनना यूं तो भारत के लोई नया नही था। इससे पहले उमा भारती के रूप में मध्यप्रदेश एक सन्यासी मुख्यमंत्री भारत को दे चुका था। परन्तु योगी आदित्यनाथ की बात ही अलग थी, जो उन्होंने प्रदेश की राजनीति के साथ देश की राजनीति में अपनी एक अद्वितीय छाप छोड़ी है। जहां युवा योगी आदित्यनाथ के रूप में देश के अगले प्रधानमंत्री को देखता है। यह अतिशयोक्ति नही होगी, जिस प्रकार योगी आदित्यनाथ ने उत्तरप्रदेश की बागडोर संभाली है उसी तंत्र, उसी व्यवस्था, वही अधिकारी, होने के बाद भी जनता में विश्वास बनाना कि प्रदेश में कानून व्यवस्था है, इससे पहले नेता और नेताओं के चमचों का बोलबाला था, पुलिस FIR करने से पहले नेता जी से पूछती थी, नेता जी अपराधियों को यह कहकर प्रश्रय दिया करते थे कि बच्चों से गलतियां हो जाती है। जब किसी प्रदेश का मुख्यमंत्री बलात्कारियों को बचाने के लिए ऐसे वक्तव्य दे कि बच्चों से गलतियां हो जाती है, तब इसे उस प्रदेश का दुर्भाग्य ही कहेंगे, और उत्तरप्रदेश की जनता ने दुर्भाग्य को ना चुनकर सौभाग्य को चुना है।

“अयोध्या जन्मभूमि”

रामजन्मभूमि आंदोलन ने जो धार उत्तरप्रदेश की राजनीति को दी वह अपने आप में महत्वपूर्ण है। जिस प्रकार भाजपा ने आगे बढ़कर इस विषय को सुलझाने के लिए कानूनी प्रक्रिया व राजकीय जिम्मेदारी को संभाला, उससे उत्तरप्रदेश सहित पूरे देश के नागरिकों में संतोष व हर्ष का वातावरण बना। निश्चित रूप से रामजन्मभूमि आंदोलन का नेतृत्व विश्व हिंदू परिषद ने सन्तों के मार्गर्शन में किया, किंतु प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सत्ता होने के कारण अनेक स्थानों व न्यायालयीन विषयो में सरकार की ओर से बेरुखी का व्यवहार देखने को मिलता था, रामजन्मभूमि के इस विषय को ये पार्टियां बनाये रखना चाहती थी ताकि हिन्दू उग्रवाद के नाम पर मुस्लिमों को भड़काकर उनका वोटबैंक अपनी तरफ करके सत्ता में बने रहे। विपक्षी पार्टियां यही भय दिखाकर मुस्लिमो को अपनी तरफ करती रही। परन्तु योगी जी ने अपने सुशासन से पूरे प्रदेश की जनता का विश्वास जीता। उन्होंने रामजन्मभूमि जैसे ज्वलंत विषय को सही तरीके से हल करने में न्यायालय को पूर्ण सहयोग किया। फिर 500 वर्षो से लंबित रामजन्मभूमि का ऐतिहासिक निर्णय आया। इस निर्णय के बाद भी पूरे प्रदेश में कोई हिंसा या घटना नही हुई, ऐसी चाक चौबंद व्यवस्था ने योगी को फिर से उनके ह्रदय में बैठा दिया।

दंगा मुक्त प्रदेश – उत्तरप्रदेश

आये दिन होली, दीपावली, कावड़यात्रा पर होने वाले पथराव उसके बाद हिंसा व दंगो से जनता परेशान हो चुकी थी, पिछली सरकारों में 1 वर्ष में सैकड़ों दंगे देखने वाली उत्तरप्रदेश की जनता ने जब सत्ता एक सन्यासी को सौंपी, जो स्वयं दंगो और अपराधियों से परेशान थे, उन्होंने हर अपराधी और असामाजिक तत्वों को ठिकाने लगाने का काम किया। आतंक को कानून के डर से ही समाप्त किया जा सकता है यह बात योगी जी ने उत्तरप्रदेश को फिर से याद दिलाई। फिर क्या अपराधी क्या दंगाई, उत्तरप्रदेश पुलिस से डरकर सभी अपराधी जेल में जाने की भीख मांगते नजर आए। वोटबैंक की राजनीति के चलते असामाजिक तत्वों को प्रश्रय देने वाली पिछली सरकारों से जनता का मन ऊब चुका था, उन्हें मालूम था कि ये परिवार वाद वाली सत्ता उन्हें न्याय नही दे सकती। उत्तरप्रदेश की जनता भी बार बार होने वाली हिंसा और दंगो से त्रस्त हो चुकी थी। योगी आदित्यनाथ ने उत्तरप्रदेश को दंगा मुक्त प्रदेश बनाया है।

आधारभूत विकास और व्यवस्था

योगी आदित्यनाथ केवल धार्मिक मामलों या अपराधों पर रोकथाम के लिए ही नही, बल्कि विकास और व्यवस्था कौशल में भी सिद्ध साबित हुए। जब कोरोना काल में देश और कई प्रदेशों की सत्ताएं आर्थिक अव्यवस्था से जूझ रही थी उस विपत्ति काल में भी उत्तरप्रदेश योगी सरकारी हजारों करोड़ का निवेश उत्तरप्रदेश में लेकर आई थी। यह उत्तरप्रदेश की सत्ता पर निवेशकों का विश्वास ही था। इसके साथ कई ओवर ब्रिज, सुपर कॉरिडोर, एक्सप्रेस वे, हाई वे, प्रदेश को देना। कानून व्यवस्था को दुरुस्त करना। चिकित्सा व अन्य जन सहयोगी सेवाओ में अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करना। गैर जिम्मेदार होने पर अधिकारियों की नकेल कसना। यह उत्तरप्रदेश की कानून व्यवस्था और सुशासन को स्थापित करने के लिए योगी सरकार को मिला जनता का आशीर्वाद ही है।

इसे राष्ट्रवाद की विजय कहें तो यह अतिशयोक्ति नही होगी, जिस वाक्य को लेकर भाजपा ने उत्तरप्रदेश चुनाव का शंखनाद किया, जिस प्रकार CAA कानून पर पूरे देश में हिंसा उपद्रव करने वालो को उत्तरप्रदेश में कोई अवसर नही दिया गया। इन 5 वर्षों के शासन ने देश की कई प्रदेश सत्ताओं को दिखाया कि शासन ऐसे भी हो सकता है। वास्तव में यह सत्य ही है कि नरेंद्र मोदी जैसा विलक्षण नेतृत्व भारत को मिलना सौभाग्य की बात है, उसी तरह आने वाली पीढ़ी में योगी आदित्यनाथ जैसा नेतृत्व उत्तरप्रदेश से होकर शीघ्र ही राष्ट्रीय राजनीति में जा सकता है। वैसे नरेंद्र मोदी जैसे प्रधानमंत्री जब तक हो सके भारत की सत्ता में रहना अत्यंत आवश्यक है, फिर भी उनके बाद भारत को अभी सशक्त नेतृत्व के लिए चिंतित होने की आवश्यकता नही। भारत की राजनीति को सही दिशा देने का क्रेडिट पूर्ण रूप से नरेंद्र मोदी को ही जाता है, फिर भी देश की राजनीति उत्तरप्रदेश से होकर ही निकलती है, तो आप निश्चित रहे, यूपी में बाबा आ चुके है।

— मंगलेश सोनी

*मंगलेश सोनी

युवा लेखक व स्वतंत्र टिप्पणीकार मनावर जिला धार, मध्यप्रदेश