गीत/नवगीत

प्रेम रंग रंग दो फागण !

प्रेम रंग रंग दो फागण !

प्रेम रंग रंग दो फागण,
खनके कंगना खन खन,
होली का रंगारंग त्यौहार,
हो प्रेम नवरंग बौछार।

दिल से मिलते हैं जब दिल,
सुन्दर प्रेम पुष्प खिलते,
हंसी लबों से नहीं होती बात,
आँखों ही आँखों में होते इशारे।

प्रेम रंग रंग दो फागण !

प्रेम की नहीं कोई परिभाषा,
प्रेम दिल की नेहभरी अभिलाषा,
प्रेम शीतल महकती बयार हैं
जीवन बगिया की बहार हैं।

प्रेम रंग रंग दो फागण !

प्रेम प्रभु का उपहार हैं,
जीवन का अनमोल वरदान हैं,
प्रेम राधा का,प्रेम मीरा का
प्रेम समर्पण,प्रेम त्याग हैं।

प्रेम रंग रंग दो फागण !

लहरों का तट से मिलन
क्षितिज पर मिलते नभ-गगन
प्रेम नहीं हैं केवल वासना
प्रेम अर्चना,जीवन आराधना।

प्रेम रंग रंग दो फागण !

प्रेम पावनता का एहसास कराता,
रिश्तों में आत्मीयता संजोता,
प्रेमभाव से धरा गगन दीपता,
प्रेम मनमंदिर को रोशन करता।

प्रेम रंग रंग दो फागण !

वैर भाव ना हो किसी के मन में,
प्रेम की निर्मल धारा जीवन में,
महके जीवन,जग महकाये,
प्रेम सदा आधार जीवन का।

प्रेम रंग रंग दो फागण !

*चंचल जैन

मुलुंड,मुंबई ४०००७८