कविता

ज़िन्दगी

कभी कभी
ज़िन्दगी ऐसे दोराहे पर भी ले आती है
जहां किसी एक रास्ते
को चुनना मुश्किल हो जाता है
कभी खुशियों और गमों में चुनना
कभी उम्मीद और नाउम्मीदी में चुनना
कभी सपनों और अपनों में चुनना
कभी आशा और निराशा में चुनना
कभी सुकून और तनाव में चुनना
कभी खुद को मिटा कर खुद का पाने में चुनना
कभी घर और बाहर में चुनना
कभी परिवार और खुद में चुनना
इस तरह जीवन में न जाने
 कितने दोराहे आते हैं
जब कौन सा रास्ता चुने
कौन सा छोड़े ये तय कर पाना
मुश्किल हो जाता है
आखिर कौन सी राह चुनें
क्यों जीवन भर ये सवाल
ये चुनौतियाँ आज़माती रहती हैं ला दोराहे पर
आखिर क्या चुने क्या छोड़ें
किस रस्ते चलें किस रस्ते से कदम रोक लें
क्या हासिल करें क्या छोड़ दें।।
— मीनाक्षी सुकुमारन

मीनाक्षी सुकुमारन

नाम : श्रीमती मीनाक्षी सुकुमारन जन्मतिथि : 18 सितंबर पता : डी 214 रेल नगर प्लाट न . 1 सेक्टर 50 नॉएडा ( यू.पी) शिक्षा : एम ए ( अंग्रेज़ी) & एम ए (हिन्दी) मेरे बारे में : मुझे कविता लिखना व् पुराने गीत ,ग़ज़ल सुनना बेहद पसंद है | विभिन्न अख़बारों में व् विशेष रूप से राष्टीय सहारा ,sunday मेल में निरंतर लेख, साक्षात्कार आदि समय समय पर प्रकशित होते रहे हैं और आकाशवाणी (युववाणी ) पर भी सक्रिय रूप से अनेक कार्यक्रम प्रस्तुत करते रहे हैं | हाल ही में प्रकाशित काव्य संग्रहों .....”अपने - अपने सपने , “अपना – अपना आसमान “ “अपनी –अपनी धरती “ व् “ निर्झरिका “ में कवितायेँ प्रकाशित | अखण्ड भारत पत्रिका : रानी लक्ष्मीबाई विशेषांक में भी कविता प्रकाशित| कनाडा से प्रकाशित इ मेल पत्रिका में भी कवितायेँ प्रकाशित | हाल ही में भाषा सहोदरी द्वारा "साँझा काव्य संग्रह" में भी कवितायेँ प्रकाशित |